आखिर क्यों अकेले हैं मोदी?… जो अखलाक, जेएनयू और वेमुला पर हुआ, वो बुरहान पर क्यों नहीं
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद फैला तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सोमवार शाम को पत्थरबाजों की तरफ से श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर एक ग्रेनेड फेंका गया था। धमाके में सीआरपीएफ के 12 जवान घायल हो गए।
बुरहान वानी की मौत पर बवाल
वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी कश्मीर के चार पुलिस थानों पर हमलाकर भीड़ ने एके-47 समेत सैकड़ों राउंड गोला-बारूद लूट लिया। शुक्रवार को हुई मुठभेड़ के बाद राज्य के सभी प्रमुख शहरों व गांवों में कर्फ्यू लगा दिया गया। कर्फ्यू के बावजूद सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच खूनी झड़प देखने को मिल रही है।
कर्फ्यू के बावजूद, रिपोर्ट है कि लोग मध्य और दक्षिणी कश्मीर में कई जगह सड़कों पर उतर रहे हैं। अब तक हिंसा में 31 लोगों की जान जा चुकी है। पुलिस का कहना है कि सुरक्षाबलों और भीड़ के बीच पिछले चार दिनों में 500 से ज्यादा बार झड़प हो चुकी है।
वहीं केंद्र सरकार ने भी इस पूरे मामले पर विपक्ष के साथ-साथ सभी देशवासियों से समर्थन की मांग की है। लेकिन इसके बावजूद भी विपक्ष के किसी बड़े नेता ने इस घटना पर बुरहान वानी के खिलाफ और सेना के पक्ष में खुलकर खड़ा होने की ताकत नहीं दिखाई, जो सामान्य तौर पर अखलाक, जेएनयू और वेमुला जैसी घटना में दिखाई पड़ी।