बाल विवाह : बचपन की शादी नहीं मानने पर लड़की के दुश्मन बने माँ-बाप !

राधा (नाम बदल दिया गया है), 19 साल की है. राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहती है. ये गांव जोधपुर के भोपालगढ़ में आता है. उसने अपने गांव के पंचों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है.

क्योंकि पंचों ने उसे, उसके एक दोस्त को समाज से निकाल दिया है. साथ ही ये आदेश भी दिया है कि अगर वो चाहते हैं कि वो वापस समाज में आएं, तो 2 लाख रुपए दें.

राधा इस वक्त बहुत परेशान है. वो अपने घरवालों के साथ भी नहीं रह सकती. उसकी परेशानी की जड़ है बाल विवाह. राजस्थान के कई इलाकों में आज भी बाल विवाह होते हैं.

लड़कियां और लड़के जब छोटे होते हैं, तभी उनकी शादी करवा दी जाती है. छोटे रहते हैं इसलिए कुछ समझ नहीं आता, लेकिन बड़े होने के बाद उन्हें बहुत दिक्कत होती है. ऐसा ही राधा के साथ भी हुआ.

राधा से हमने बात की. उसने हमें अपनी पूरी कहानी बताई. उसने बताया कि वो जब 13 साल की थी, तभी उसके मां-बाप ने उसकी शादी करवा दी. ये बात साल 2013 की है.

शादी के बाद वो एक दिन ससुराल में रही, और फिर वापस मायके आ गई. होता ये है कि शादी करवा तो दी जाती है, लेकिन गौना यानी विदाई, बाद में होती है. राधा के साथ भी यही हुआ.

वो जब 17 साल की हुई, तब उसके मां-बाप ने सोचा कि अब उसका गौना करवा दिया जाए. राधा पढ़ाई करना चाहती थी. वो उस वक्त 12वीं में थी. बात 2017 की है. उसके मां-बाप ने उसके ऊपर गौने का दबाव बनाना शुरू कर दिया.

राधा ने मना किया. उस वक्त उसके पेपर चल रहे थे, और वो आगे भी पढ़ना चाहती थी. वो ससुराल नहीं जाना चाहती थी. उसके मां-बाप नहीं माने. उसे परेशान करने लगे. राधा घर से भाग गई. वो जोधपुर पहुंची. कलेक्टर ऑफिस पहुंची.

किसी तरह पुलिस से कॉन्टैक्ट किया. फिर भोपालगढ़ पुलिस थाने पहुंची. जहां उसके परिवार वाले उसे लेने आए. पुलिस ने परिवारवालों से कहा कि राधा को आगे परेशान न किया जाए. पुलिस के कहने पर राधा अपने घर चली गई.

दूसरी जात में शादी करना पड़ा इतना भारी, की बेटी–दामाद को बांधकर जिंदा जला दिया !  

सोचा सब ठीक हो जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उसके मां-बाप को लगा कि बेटी ने गौने से मना कर दिया, अपनी शादी को मानने से इनकार कर दिया, इसलिए उनकी नाक कट गई. उनकी इज्जत समाज के सामने मिट गई.

गुस्से में राधा को उसके परिवार वाले आए दिन पीटने लगे. उसके घरवाले बेदर्दी से उसे मारने लगे. गांव में रहने वाले मोहन (नाम बदल दिया गया है) ने, राधा की हालत के बारे में पुलिस से शिकायत की.

कॉल करके सब बताया. पुलिस का कॉल राधा के पिता के पास पहुंचा. तब उसके पिता ने साफ झूठ बोल दिया. कहा कि वो अपनी बेटी को नहीं पीटते. राधा से भी पुलिस ने उसी वक्त फोन पर बात की. राधा के सामने उसके पिता खड़े थे, इसलिए उसे डर के मारे झूठ बोलना पड़ा.

बाद में राधा के घरवाले पुलिस स्टेशन पहुंचे. पता किया कि आखिर शिकायत किसने की थी. मोहन का नाम सामने आया. राधा के पिता ने मोहन के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया.

आरोप लगाया कि मोहन ने राधा को परेशान किया था, उसका रेप करने की कोशिश की थी, उसे घर से भगाने की कोशिश की थी. केस चला. राधा को गवाही के लिए बुलाया गया. राधा ने मोहन पर लगे सभी आरोपों को झूठा बताया. आखिर में केस झूठा साबित हुआ.

राधा अभी भी अपने घर पर ही रह रही थी. लेकिन अब उसका रहना और भी मुश्किल हो गया. वो फिर जोधपुर चली गई. वहां कुछ महीनों तक वो बालिका गृह में रही. फिर नारी निकेतन चली गई.

वहां कुछ महीने रहने के बाद, मोहन और उसकी पत्नी उसे वहां से लेकर आ गए. मोहन के घरवाले इस वक्त राधा की मदद कर रहे हैं.

राधा के परिवारवाले चाहते हैं कि वो मर जाए. वो उसे अपने साथ नहीं रखना चाहते. ऐसे में राधा इस वक्त मोहन के परिवार के साथ ही रह रही है.

गांव के मेघवाल समाज के पंचों ने बाल विवाह का विरोध करने की वजह से राधा को समाज से निकाल दिया है. साथ ही मोहन और उसके भाई को भी समाज से निकाल दिया गया है.

पंचों का कहना है कि राधा बाल विवाह का विरोध नहीं कर सकती. खैर, राधा ने यहां पर भी हिम्मत दिखाई और पंचों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया. मामला इस वक्त भोपालगढ़ पुलिस थाने में दर्ज है. हमने वहां के अधिकारियों से भी बात की. पुलिस ने हमें बताया कि इस मामले में पंचों के खिलाफ FIR लिख ली गई है. जल्द ही राधा का बयान लेकर, कार्रवाई की जाएगी.

 

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