क्यों सीटी बजाता है पूरा गाँव?, जानने के लिए पढ़ें !

जहाँ हमारे भारत देश में अधिकांश जगहों पर दूसरों को सीटी बजाकर बुलाना आपको महंगा पड़ सकता है वहीँ दूसरी तरफ एक ऐसा भी गांव है, जहाँ सभी लोग एक दूसरे को सीटी बजाकर ही बुलाते हैं l

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क्या है इस गांव की कहानी ?

हम बात कर रहें हैं भारत के राज्य मेघालय के पूर्वी जिले खासी हिल में कांगथांन गांव की, जहाँ पर गांव के सभी लोग एक-दूसरे को सीटी बजाकर बुलाते हैं इसीलिए इस गांव को ”व्हिसलिंग विलेज’ कहा जाता है। बताया गया है कि गांव में रहने वाले सभी लोग ‘खासी’ समुदाय के हैं। गांव में रहने वाले हर व्यक्ति के दो नाम होते हैं एक हमारे आपकी तरह सामान्य नाम और दूसरा व्हिसिल ट्यून नेम। यह प्रक्रिया बच्चे के जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है उसको व्हिसिल नाम उसकी माँ से मिलता है और धीरे-धीरे वह इस व्हिसिल ट्यून को समझने लगता है ।

इस  गांव में लगभग 650 लोग रहते हैं। सभी के लिए अपनी अलग-अलग ट्यून है। यानी गांव में कुल 650 ट्यून है। गांव के लोग यह ट्यून प्रकृति से बनाते हैं इसके लिए वो पछियों की आवाज का सहारा लेते हैं खासकर चिड़ियों की आवाज से नई धुन बनाते हैं। कांगथांन गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है, इसलिए गांव के लोग कोई भी ट्यून निकालते हैं, तो वो कम समय में दूर तक पहुंचती है या कहा जाए की पहाड़ों में गूंजती है। यानी गांव के लोगों का बातचीत का यह तरीका वैज्ञानिक रूप से भी  सही है। वक्त बदलने के साथ-साथ यहां के लोग भी बदलने लगे हैं। मजे की बात तो ये है कि अब यह लोग अपने ट्यून नेम को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर उसे रिंगटोन भी बना लेते हैं।

गांव के एक व्यक्ति के अनुसार “हम कभी भी धुन दोहराते नहीं हैं। यहां तक कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है, तब भी उसे बुलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली धुन किसी और को नहीं दी जाती है, हम हमेशा एक धुन को दूसरे से अलग रखते हैं”

संगीत की यह विरासत गांव के त्योहारों और अनुष्ठानों में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हर गर्मियों में, पूर्णिमा की रात को  यहां के लोग आग जलाकर उसके चारों ओर बैठकर उत्सव में भाग लेते हैं, जिसमें प्रत्येक अविवाहित युवक अपनी धुन गाता है। जो इसे सबसे अच्छा करता है वह आमतौर पर सबसे खूबसूरत एकल महिला द्वारा उसके दूल्हे के रूप में चुना जाता है l

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