
मगर नगर निगम की जमीन पर कब्जा होने का यह पहला वाकया नहीं है। दिल्ली रोड पर ही एक अन्य कॉलोनी में भी निगम की करोड़ों की जमीन हथिया लिए जाने का मामला कई साल से उठ रहा है। इस जमीन को नगर निगम के अफसर खाली नहीं करा सके हैं।
करीब तीन साल पहले मल्हीपुर रोड पर एक व्यक्ति ने निगम की जमीन की बाउंड्री कराने के साथ ही उसपर मकान तैयार करा लिया था। जैसे ही इसका पता निगम अफसरों को चला तो निगम की टीम मौके पर पहुंची, जिसे बैरंग लौटना पड़ा था।
मामले में कोतवाली सदर बाजार में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी, मगर उसके बाद मामला दबा दिया गया। अब निगम अफसरों का कहना है कि जिस जमीन को वह अपनी बता रहे थे, वह उसी व्यक्ति की है, जिसने कब्जा किया हुआ है।
दो साल पहले कोतवाली मंडी क्षेत्र में बने नगर निगम के क्वार्टर पर दबंगों ने कब्जा कर लिया था। नगर निगम अफसरों को पुलिस साथ लेकर जाकर क्वार्टर को कब्जा मुक्त कराना पड़ा था।
अब राकेश टाकिज के पीछे कांशीराम कॉलोनी के पास खाली पड़ी नगर निगम की करोड़ों रुपये की जमीन पर स्थानीय लोगों का कब्जा है। हैरत की बात यह है कि इस भूमि पर नगर निगम ने अपना बोर्ड भी लगवाया हुआ है।
करीब एक साल पहले इस जमीन पर कब्जे के समाचार को प्रमुखता से उठाया गया था, मगर तत्कालीन नगरायुक्त ने जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इससे साबित होता है कि जमीनों पर कब्जे निगम अफसरों की लापरवाही का नतीजा हैं।
नगर निगम की जमीनों पर कब्जे होने के सभी मामले पुराने हैं, जिनका पता अब चल रहा है। जमीनों को कब्जामुक्त कराने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। निगम अपनी किसी भी जमीन पर कब्जा नहीं होने देगा।
– ओपी वर्मा, नगरायुक्त।