
मंगलवार को न्यूनतम तापमान गिरकर 0.7 डिग्री और अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रहा था, जो बुधवार को और नीचे चला गया। रातभर बरसी ओस बुधवार की सुबह बर्फ के रूप में जमी नजर आई। देहात क्षेत्र में सूखे पत्तों और कूड़े पर यह बर्फ की शक्ल में पड़ी दिखी, जिसे पाला भी कहा जाता है। ठंड से बचने के लिए लोग गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए।
इसके बावजूद उनके हाथ और पैर सुन रहे। बुधवार को न्यूनतम तापमान गिरकर शून्य पर चला गया, जबकि अधिकतम तापमान भी एक डिग्री गिरकर दस डिग्री सेल्सियस रहा। ठंड बढ़ने की एक वजह पहाड़ों पर भारी बर्फबारी का होना बताया जा रहा है। चूंकि सहारनपुर हिमालय पर्व की श्रेणियों से सटा है। ऐसे में पहाड़ों की बर्फबारी का असर यहां रहता है।
अलाव की व्यवस्था करने की मांग ः सहारनपुर। निराश्रित लोगों को ठंड से बचाने के लिए नगर निगम प्रत्येक वर्ष अलाव और रैन बसेरों की व्यवस्था करता है। वर्तमान में भी कई जगहों पर अलाव और अस्थाई रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है, मगर यह नाकाफी साबित हो रहा है। मलिन बस्तियों जैसे जेल के सामने, रेलवे कॉलोनी से सटी बस्ती आदि में अलावा के लिए लकड़ी नहीं पहुंच रही है। लोगों की मांग है कि उन्हें अलाव के लिए लकड़ी मुहैया कराई जाए।
देहात में जनजीवन हुआ अस्त व्यस्त ः छुटमलपुर। तीन दिन से चल रही शीत लहर के चलते आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कड़ाके की ठंड के चलते शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं। सुबह के वक्त बाजारों में भी देर से ही रौनक आ रही है। हालांकि धूप निकल रही हैं लेकिन सर्द हवाओं के चलने से वह भी राहत नहीं दे पा रही है।
बुधवार की सुबह भी ग्रामीण जब उठे तो घास और छप्पर पर पाले की सफेद परत जमी थी। पाला गेहूं की फसल के लिए तो ठीक है लेकिन आम को नुकसान पहुंचा सकता है। बागबानों के अनुसार यदि पाला गिरना बंद नहीं हुआ तो बागों में खासा नुकसान हो जाएगा। पारा भी शून्य के आस पास पहुंच गया है। हाड़ कंपाने वाले सर्दी बुजुर्गों को काफी परेशान कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अलाव भी नहीं जलाए जा रहे हैं। अलाव जलवाने और कंबल बंटवाने की मांग की है।
धूप भी नहीं दिला पा रही राहत
सहारनपुर। दो दिन से ठंड बढ़ने के साथ ही धूप भी खिली रही। इसके बावजूद लोगों को ठंड से राहत नहीं मिल रही है। दिन में चलने वाली शीतलहर की वजह से धूप बेअसर लग रही है। लोग दिन धूप में भी गर्म कपड़ों में लिपटे रहने को मजबूर हैं।