अमेरिका पर बिदका किम तो भड़क उठे ट्रंप, किया सांसे रोकने का ऐलान!

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग-उन को दोबारा आगाह किया है कि अगर वह परमाणु हथियार कार्यकर्म छोड़ देते हैं, तो सत्ता में बने रहेंगे। लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह वाशिंगटन के साथ समझौते से इंकार करते हैं तो उन्हें ‘तबाह’ कर दिया जाएगा। वहीं इससे पहले किम जोंग ने भी ट्रंप को चेतावनी भरे अंदाज में ये चेताया था कि यदि अमेरिका की एकतरफा बयान बाजी पर रोक नहीं लगी तो परमाणु शक्ति पर रोक के मामले में उसे पुनर्विचार करना होगा। इस लिहाज से ट्रंप के ताजा ऐलान को किम की इस बात के पलटवार के रूप में देखा जा रहा है।

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डोनाल्ड ट्रंप

सीएनएन की रपट के अनुसार, ट्रंप ने गुरुवार को यह बयान तब दिया, जब इससे पहले किम ने 12 जून को ट्रंप के साथ संभवत: सिंगापुर में होने वाली बैठक से बाहर निकलने की धमकी दी थी।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, “अगर वह अपने परमाणु हथियारों को त्यागते हैं तो मैं किम को ‘सुरक्षा’ प्रदान करने के लिए ‘बहुत कुछ करने’ के लिए तैयार हूं।”

ट्रंप ने कहा, “उन्हें सुरक्षा दी जाएगी, जोकि बहुत मजबूत होगी.. सबसे अच्छी बात यह होगी कि वह समझौता कर लें।”

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ट्रंप ने यह भी कहा कि वार्ता से हटने के संबंध में उत्तर कोरिया की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

उन्होंने कहा, “हमारे लोग वार्ता की व्यवस्था के लिए सचमुच काम कर रहे हैं, इसलिए यह उससे अलग है, जिसके बारे में आप पढ़ते हैं, लेकिन कई बार जो आप पढ़ते हैं, वह फर्जी समाचार नहीं होता है, वह सच होता है।”

उन्होंने साथ ही उत्तर कोरिया को चेतावनी दी और दो विकल्पों के बारे में बताया। पहला परमाणु निरस्त्रीकरण पर समझौता करें और सत्ता में बने रहें या दूसरा लीबिया के नेता मुअम्मार गद्दाफी की तरह अपनी दुर्दशा करें, जिन्हें 2011 में नाटो के समर्थन वाले विद्रोहियों ने सत्ता से बेदखल कर मार गिराया था।

ट्रंप ने कहा, “अगर आप गद्दाफी के मॉडल को देखें तो उसे पूरी तरह से तबाह कर दिया गया था। हम वहां उन्हें हराने के लिए गए थे। कोई समझौता नहीं होने की स्थिति में उस मॉडल को अपनाया जा सकता है।”

उन्होंने कहा, “लेकिन अगर हम समझौता कर लेते हैं तो, मुझे लगता है कि किम जोंग-उन बहुत, बहुत ज्यादा खुश रहेंगे।”

ट्रंप ने हालांकि कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया के साथ वार्ता के दौरान ‘लीबिया मॉडल’ का इस्तेमाल नहीं करेगा। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने कहा था कि प्योंगयांग के साथ वार्ता का आधार ‘2003-04 का लीबिया मॉडल’ होगा।

राष्ट्रपति ने कहा, “जब हम उत्तर कोरिया के बारे में सोचते हैं, तो यह लीबिया मॉडल नहीं है। लीबिया में, हमने उस देश को तबाह कर दिया था… वहां गद्दाफी को सुरक्षित रखने का कोई समझौता नहीं किया गया था।”

2003 में, गद्दाफी अमेरिका से आर्थिक सहायता के बदले अपने देश में सामूहिक विनाश के हथियार को समाप्त करने पर सहमत हो गया था, हालांकि समझौते में गद्दाफी को किसी भी प्रकार की सुरक्षा का भरोसा नहीं दिया गया था।

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