40 साल का यह अटूट रिश्ता हर भाषा-हर वर्ग पर भारी

रिपोर्ट -पंकज श्रीवास्तव 

गोरखपुर। कौवों की काँव-काँव भला किसे अच्छी लगती है लोग शौक के लिए तोता,मैना,रंगीन चिड़िया पालते है लेकिन गोरखपुर में एक ऐसे शख्स है जिन्हें कौवों से प्यार है वो भी एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो से,खुद खाना खाए या न खाए पर कौवों को खाना खिलाना नहीं भूलते वो भी किसी खास दिन नही बल्कि 40  साल से ज्यादा समय से।

कौवो से नाता

85 वर्षीय राम चरन बहरामपुर में राप्ती नदी के किनारे एक छोटी सी गुमटी में सामान बेचकर अपना गुजारा करते है और पास ही एक कुटिया में रहते है। राम चरन जहां रहते है वहां बड़े-बड़े पेड़ है जिसपर कौए रहते है और काव काव करते है।

रामचरन  की माने तो शुरू में तो इनको कौवों की काव-काव अच्छी नही लगती थी लेकिन धीरे धीरे उन्हें इन कौवों से लगाव हो गया और ये पूजा के बाद कौवों को नमकीन,बिस्किट,चावल आदि डालने लगें शुरू-शुरू में कुछ ही कौवे आते वो भी पास जाने पर उड़ जाते लेकिन धीरे-धीरे कौवों की संख्या बढ़ गई और आज सैकड़ो  कौवे इनके आवाज पर आने लगे और अब् वो  इनके हाथो तक से खाना खाने लगे।

यह उत्तम दृश्य अब आस-पास के लोगो को भी अच्छा लगने लगा है। लोग बताते है कि कौवे तो अब राम चरन की आहट तक जान जाते है जैसे ही वह पूजा खत्म करते है कौवे आना शुरू हो जाते है। रामचरन खुद भूखे भले रहे लेकिन कौवो को भोजन जरूर देते है।

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राहगीर भी इस नजारे को देखने के लिए रूक जाते है और घण्टो कौवों से इंसान के इस प्यार को देखते है। उनका कहना है कि प्यार में वो ताकत है जो किसी को अपना बना लेता है। आज भी प्यार की भाषा ही सबपे भारी है।

 

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