रामलला के दानपात्र से हुई करोड़ो की चोरी को रिसीवर मंडलायुक्त ने बताया बेबुनियाद

रिपोर्ट- राजेंद्र सोनी

फैजाबाद। रामलला मंदिर के दानपात्र से आभूषण और रूपयों की चोरी के आरोप में नया मोड़ आ गया है। अयोध्या रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आरोपों पर रामलला के रिसीवर मंडलायुक्त मनोज मिश्रा ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

मंडलायुक्त मनोज मिश्रा

रिसीवर मंडलायुक्त ने कहा कि दानपात्र में आए दान स्वरूप रुपयों की सीसीटीवी कैमरे की नजर में 4 सदस्य कमेटी गणना करती है,जिसमें खुद मुख्य पुजारी आजा सत्येंद्र शामिल है।यही नहीं दानपात्र के बगल खुद पुजारी बैठते हैं और कभी भी इस तरह की उन्होंने शिकायत नहीं की।

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उन्होंने कहा कि 2005 में आतंकी हमले के बाद दर्शन करने में कड़ा रुख अख्तियार किया गया है,जिसके चलते दानपात्र में जाने वाले सामान अन्य कपड़े प्रतिबंधित किए गए हैं,जिसके कारण मुख्य पुजारी की नाराजगी सामने आई है,जिसको लेकर मुख्य पुजारी बेबुनियाद बयान दे रहे हैं।

मंडलायुक्त मनोज मिश्रा ने कहा कि कार्यालय के केशियर बंसीलाल मौर्या ऐसी कोई हरकत नहीं कर सकता,जिससे उस पर आरोप लगे क्योंकि महीने में दो बार सीसीटीवी कैमरे की नजर में दानपात्र में आए रुपयों की गणना होती है और सीधे बैंक खाते में रुपए को जमा करा दिया जाता है,अगर दानपात्र में कोई आभूषण भी आता है,तो उसकी एंट्री रजिस्टर में होती है।

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मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा  था कि रामलला के दानपात्र में आने वाले करोड़ों के आभूषण गायब कर दिए गए हैं। वर्ष 2000 के बाद अभिलेखों में आभूषण का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। मुख्य पुजारी ने रामलला के रिसीवर मंडल के कार्यालय में तैनात अधिकारी पर आरोप लगाया था।

मुख्य पुजारी ने आरोप लगाया कि कमिश्नर कार्यालय में तैनात बाबू बसंत लाल मौर्या रामलला के दानपात्र से करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा है।

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