हाईकोर्ट के सामने धरना देने वाले न्यायाधीश की हमेशा के लिए छुट्टी

जबलपुर। मध्य प्रदेश में डेढ़ साल में चार बार तबादले से नाराज होकर उच्च न्यायालय के सामने धरना देने वाले अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आर.के. श्रीवास को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। निलंबित एडीजे श्रीवास ने संवाददाताओं को बताया कि उच्च न्यायालय की अनुशंसा पर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है।

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उन्होंने कहा, “मैंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ आवाज उठाई थी। तबादला नीति का पालन नहीं किए जाने पर मैंने 17 मार्च, 2016 को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और 6 अप्रैल, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा था।”

एडीजे श्रीवास ने डेढ़ साल में चौथी बार तबादला किए जाने के खिलाफ एक अगस्त, 2017 से तीन दिन तक उसके बाद 26 अगस्त से तीन दिन उच्च न्यायालय के सामने धरना दिया था। उनका आरोप था कि तबादला नीति की अनदेखी करते हुए डेढ़ साल के भीतर उनका तबादला धार से शहडोल, शहडोल से सिहोरा, सिहोरा से जबलपुर हाईकोर्ट और नीमच कर दिया गया। अपनी नौ सूत्री मांगों के समर्थन में उनका तीन दिवसीय सांकेतिक धरना तीन अगस्त को समाप्त हुआ था।

श्रीवास का कहना है कि 8 अगस्त, 2017 को नीमच पहुंचकर उन्होंने दो बजे कार्यभार ग्रहण किया था और शाम को छह बजे उन्हें फैक्स से निलंबन आदेश प्राप्त हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने जन्मदिन 19 अगस्त को नीमच से जबलपुर तक साइकिल से न्याय यात्रा की शुरुआत की थी। 26 अगस्त को जबलपुर पहुंचकर उच्च न्यायालय के सामने फिर धरना दिया था। धरने के तीसरे दिन उच्च न्यायालय के सामने प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी थी, जिसका पालन करने हुए उन्होंने अपना धरना खत्म कर दिया था।

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