भारतीय नहीं विदेशी हैं समोसे, जानें इसका इतिहास

समोसे का इतिहासनई दिल्‍ली। सुबह का नाश्‍ता हो या शाम की चाय हर किसी की पहली पसंद समोसे होते हैं। समोसे हमारे देश में ही नहीं बल्कि और भी कई देशों और शहरों में पसंद किए जाते हैं। बूढ़े और बच्चे सभी समोसे बड़े चाव से खाते हैं। चाव से खाने वाले इस समोसे का इतिहास देखा जाए तो बता दें, इसका इतिहास काफी पुराना है। इसकी शुरुआत भारत में नहीं बल्कि किसी और देश में हुई थी।

खान-पान के इतिहासों के मुताबिक समोसे ने जितनी लम्बी यात्रा तय की है शायद ही किसी और व्यंजन ने की होगी। जानकारों के मुताबिक समोसे का जन्म मिस्र देश में हुआ था। उसके बाद ये लीबिया पहुंचा और फिर मध्यपूर्व एशिया होते हुए भारत आया। महान कवि अमीर खुसरो ने (1253-1325) बताया की दिल्ली सल्तनत में स्टड मीट वाला घी में तला हुआ समोसा शाही परिवार के सदस्यों और अमीरों का मनपसंद व्यंजन था।

समोसे को कहाँ और किस नाम से पुकारा जाता है

समोसे को अंग्रेजी में तो समोसा ही बोला जाता है लेकिन इसके और भी कई नाम हैं,जैसे अरबी में समोसे को सम्बुसका बांग्ला में सिंघाड़ा ,गुजरती में सुमोस,फारसी और उर्दू सम्बुस्क,तुर्की और मध्य एशिया में समसा और ईराक में सन्बुसे के नाम से पुकारा जाता है।

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1000 साल बाद भी समोसे के तिकोने आकार में नही हुआ बदलाव

समोसे के इस लम्बे सफर में समोसे की उम्र बढ़ती गई लेकिन समोसे के तिकोनी आकृति में कोई बदलाव नहीं हुआ। भले ही शहर में शाकाहारी और मांसाहारी समोसे मिलते हों लेकिन आलू के समोसे की बात ही कुछ और होती है लोग सबसे ज्यादा आलू का ही समोसा खाना पसंद करतें हैं। समोसे का असली मजा तो उसे डीप फ्राई करने में ही आता है लेकिन पश्चिमी देशों के लोग जहां कम तला- भुना खाना पसंद करते हैं वहां लोग समोसे को बेक करके खाना पसंद करते हैं

उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग आलू के समोसे खूब पसंद करते हैं।गोवा के लोग मांसाहारी और पंजाबी लोग खूब चटपटा समोसा पसंद करते हैं। आज भी मेहमानों के घर आने पर समोसे के बिना नाश्ता पूरा नहीं होता है। भारत के लोग समोसे के साथ चाय भी खूब पसंद करते हैं।

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