2 फरवरी से शुरू हो रहा सूरजकुंड मेला, यूपी की कला से रूबरू होंगे दुनियाभर के लोग
हम चाहे कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं लेकिन अपनी संस्कृति और पहनावे से कभी भी दूर नहीं जा सकते हैं. हम आज भी घूमने के लिए कई ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं, जो हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखती है. इसी परंपरा की झलक देखने को मिलती है सूरजकुंड मेले में. इस मेले में हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं.
हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के ‘सूरजकुंड’ क्षेत्र में हर साल मेला लगता है. सूरजकुंड मेला 15 दिनों तक चलता है. इस मेले में टूरिस्ट को हस्तशिल्प और शिल्पियों की हस्तकला के बीच ग्रामीण माहौल और संस्कृति भी देखने को मिलती है. यह मेला ढाई दशक से आयोजित हो रहा है.
2 से 18 फरवरी तक आयोजित होने वाले 32वें इंटरनेशनल सूरजकुंड मेले में ग्रामीण परिवेश की खास झलकियां देख सकते हैं. इस बार मेले की थीम उत्तर प्रदेश है.
भगवान शिव की नगरी वाराणसी के 84 गंगा घाटों की झलक और करीब आठ घाट तुलसी घाट, जानकी घाट, अस्सी घाट, गंगा महल घाट, हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट व संगम घाट दिखाई देंगे. इतना ही भगवान शिव का काशी विश्वनाथ मंदिर भी दिखाई देगा. मंदिर के महंत प्रसाद भी देंगे.
मेले में इस बार करीब 25 देशों के हस्तशिल्पी और लोक कलाकार शिरकत करेंगे. मेले में दुनिया की लोककला संस्कृति के दर्शन होंगे. किर्गिस्तान इस बार मेले का भागीदार देश है. इसमें सार्क देशों को आमंत्रित किया गया है. पाकिस्तान के आने पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. इसके अलावा कुछ अफ्रीकन देश और आशियान देश शामिल हैं.
परिसर की मुख्य चौपाल को रामायण थीम पर तैयार किया जा रहा है. मचौपाल के मंच पर अयोध्या में प्रस्तावित राममंदिर का परिदृश्य दिखाई देगा. मंच के बाई और भगवान राम का पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचने के चित्र, रामसेतु के दर्शन और दांई ओर अयोध्या नगरी का ऐश्वर्य दिखाया जाएगा.
पिछले सूरजकुंड मेला एक फरवरी से शुरू हुआ था. झारखंड की चित्रकला से परिचित कराया गया था.