भारतीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह के संघर्ष की कहानी है ”सूरमा”

मुंबई .भारतीय हॉकी खिलाडी संदीप सिंह के संघर्ष और त्याग की कहानी है फिल्म सूरमा। वैसे तो हम सब जानते है की हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। अपने स्वर्णिम समय में हॉकी में भारत ने कई कीर्तिमान हासिल किए हैं। उसमे ओलंपिक स्वर्णपदक शामिल हैं। फिर अस्सी के दशक में क्रिकेट का बोलबाला हो गया और हॉकी नाममात्र का नेशनल स्पोर्ट बन के रह गया, न तो सुविधाएं और न ही रेकग्निशन और विश्व हॉकी में भी धीरे धीरे भारत का पतन होने लगा। फिर भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हॉकी अभी भी पैशन है जैसे पंजाब।

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कहानी :

पंजाब के संदीप सिंह, अपनी ड्रैगफ्लिक के लिए जाने जाते हैं और इसी कारण से उन्हें फ्लिकर सिंह के नाम से भी जाना जाता है। 2006 में उनके साथ हुए एक हादसे ने उन्हें कमर के नीचे से अपाहिज बना दिया, फिर भी संदीप ने उससे उबर कर भारत के लिए कामयाबी हासिल की और उनको अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया, उनकी ज़िंदगी का नाट्य रूपांतरण है सूरमा।

-Hockey-player-Diljit-Dosanjhs-Soorma-is-bestसमीक्षा :

जब फिल्‍म शुरू होती है तो सबसे पहले देखने को मिलते हैं, ट्रेडमार्क क्लीशे और आपको थोड़ी सी सुल्तान, थोड़ी सी दंगल, थोड़ी सी चक दे इंडिया की झलक भी देखने को मिल जाती है। तभी कहीं से उछल के बिना जरूरत के कोई गीत आ जाता है और एक लेजी सी लिखी हुई लवस्टोरी फिल्‍म की रीढ़ की हड्डी तोड़ने का प्रयास करती है, फर्स्ट हाफ डोलने लगता है पर ऐन मध्यांतर के पहले फिल्‍म आग पकड़ लेती है और सेकंड हाफ में काफी एंगेजिंग बन जाती है। फिल्‍म की ओवरआल राइटिंग शाद अली की पिछली फिल्मों से काफी अच्छी है, फिल्‍म का लुक एंड फील काफी ऑथेंटिक है और फिल्‍म के डायलाग अच्छे हैं। सेकंड हाफ फिल्‍म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है और अगर फिल्‍म के हॉकी मैच बेटर तरीके से दिखाए गए होते तो फिल्‍म काफी बेहतर हो सकती थी। हालांकि फिल्‍म अपना काम बखूबी करती है और संदीप सिंह की ज़िंदगी को सरल तरीके से दिखती है।

क्या रह गई कमी :

वीक लव ट्रैक, और झूम वराबर झूम का हैंगओवर लिये कम से कम दो फिजूल गानों के अलावा फिल्‍म में एडिटिंग की समस्याएं हैं। वीएफएक्स बेटर हो सकते थे।

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