सोमवती अमावस्या को बन रहा महासंयोग, जानिए महत्व और पूजा विधि

आज सोमवती अमावस्या है। करवा चौथ व्रत के ही जैसे हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से व्रत है जिन्हें औरतें अपनी पतिओं की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान आदि करने का महत्व है।

सोमवती अमावस्या

ऐसा संयोग बहुत कम ही होता है जब अमावस्या सोमवार के दिन हो। सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। ऐसा करने से हमेशा आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की आयु बढ़ जाती है। पति की अच्छी उम्र की कामना में विवाहित स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं साथ ही पीपल के वृक्ष को शिवजी का वास मानकर दूध, जल, फूल, अक्षत, चन्दन से पूजा करती हैं और चारों ओर 108 बार लाल रंग का धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्त्र गोदान का फल प्राप्त होता है।

पितामह ने बताया था इस व्रत का महत्व

महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को समझाया था, इस दिन पवित्र नदियों में जो स्नान करेगा उसे समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्ती मिल जाएगी। अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है और पत्तों को तोड़ता है उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है।

इस मंत्र का करें जाप

अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेया: सप्तैता मोक्ष दायिका।। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।

सोमवती अमावस्या के दिन व्रत और दान पुण्य करने से भगवान का आर्शिवाद मिलता है और मनुष्य हमेशा समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त रहता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है।

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