SC/ST ACT में सरकार ने किए बड़े बदलाव, राहत राशि में भी भारी बढ़ोत्तरी

law-graduates_1461166624एजेंसी/ यूपी चुनाव में उतरने से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव कर बड़ा सियासी दांव चला है। सरकार का यह बदलाव 14 अप्रैल से लागू भी हो गया है। हालांकि सरकार के रणनीतिकार इस बदलाव को राजनीतिक कदम के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बाबा साहेब अम्बेड़कर के प्रति सम्मान बता रहे हैं।

सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) एक्ट में की गई बदल लागू हो गई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस मामले में देर न करते हुए बाबा साहेब की ज्यंती के दिन ही बदलावों की अधिसूचना जारी कर दी है। अत्याचार निवारण कानून में अहम नियमों में हुए बदलाव की अधिसूचना के बाद केंद्र सरकार को उम्मीद जगी है कि दलित अत्याचार के मामलों में कमी आएगी। केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा है कि नए नियमों के प्रभावी होने से न सिर्फ दलित और आदिवासियों का जीवन स्तर उपर उठेगा। बल्कि अत्याचारों के शिकार लोगों के लिए न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी।

एससी-एसटी एक्ट में अहम बदलाव कर सरकार ने जो नए प्रावधान लागू किए हैं उसमें एससी-एसटी पर हुए मामले की जांच करके 60 दिनों के भीतर अदालत में आरोप पत्र दाखिल करना अनिवार्य  होगा। तो पहली दफे एक बड़ा कदम उठाते हुए बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामलों में सरकार ने राहत का प्रावधान भी किया गया है। दलित एवं आदिवासी महिलाओं के शोषण, छेड़छाड, प्रताड़ना, यौन उत्पीड़न, इशारे या छिप कर देखने अथवा पीछा करने के मामलों में मेडिकल जांच से छूट दी गई है। साथ ही राहत राशि में भी बढ़ोत्तरी की गई है। अलग-अलग मामलों में राशि अलग रहेगी। इसके साथ ही गंभीर मामलों का सामना कर रहे दलित और आदिवासियों के राहत राशि में भी अपार बढ़ोत्तरी की गई है। मौजूदा 75 हजार की सहायता राशि को बढ़ाकर 7.5 लाख किया गया है। तो 85 हजार की राशि को बढ़ाकर 8.25 लाख किया गया है।

राहत राशि मिलने के नियमों को भी उदार बनाया गया है। अब तक गंभीर प्रकृति के अपराधों में भी दलित और आदिवासी महिलाओं को देय राहत राशि मामले की जांच पूरी होने के बाद मिलती थी। मगर अब मामला दर्ज होने के 7 दिन के भीतर ही राहत राशि प्रताडित या उसके आश्रित को मिलेगी। हालांकि राहत राशि मामलों के प्रकृति को देखते हुए तय होगी। प्रताडित व्यक्ति या पुरूष के अधिकारों और उसके स्थिति की समीक्षा समय-समय पर राज्य, जिला और सबडीवीजन स्तर पर बनी कमेटियों के जरिए होंगी।

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