SC ने कहा-एक निश्चित समय में कार्रवाई करने के संबंध में राष्ट्रपति को नहीं दे सकते निर्देश

लंबी कानूनी प्रक्रियाओं के चलते फांसी की सजा पाए अपराधियों के मृत्यु दंड देने में हो रही देरी को लेकर एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट एक निश्चित समयसीमा के भीतर कार्रवाई करने के संबंध में निर्देश नहीं जारी कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तय किया जा सकता है कि गृह मंत्रालय एक निश्चित समय के भीतर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजे. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान समय सीमा पर नोटिस भी जारी किया है.

इस याचिका में कानूनी जटिलताओं और प्रकियाओं के चलते न्याय मिलने में हो रही देरी का जिक्र किया गया है. याचिका में निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के साथ-साथ कई अन्य मामलों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें दोषियों को सजा मिली. कई मामलों में सालों तक दोषी कानूनी फंदे से खुद को बचाते रहे.

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि निर्भया केस में राष्ट्रपति ने निर्णय करने में कम वक्त लिया था, जबकि अन्य मामले सालों तक टाल दिए जाते हैं.

कानूनी प्रक्रियाओं के चलते होती है सजा मिलने में देरी

दरअसल निर्भया केस में बार-बार दोषी कानून प्रक्रियाओं की जटिलता का सहारा लेते हुए बच जा रहे थे. हर दोषी की याचिका किसी न किसी कोर्ट में लंबित हो जाती थी और डेथ वारंट के बाद भी दोषी खुद को बचाने में सफल होते रहे. दोषी बार-बार अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करके फांसी की सजा से बच जा रहे थे.

निर्भया केस के बाद उठी थी बदलाव की मांग

निर्भया केस के चारों दोषियों ने कई बार कानूनी दांव-पेच खेले, कभी स्थानीय अदालत में याचिका तो कभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली. कई बार फांसी टली भी आखिरकार सवा सात साल बाद निर्भया के दोषियों को न्याय मिला और 20 मार्च को निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी.

कानूनी अड़चनों के चलते दोषी कई बार फांसी के फंदे से बच जाते रहे. निर्भया केस के बाद से ही जल्द फांसी की प्रक्रियाओं को तय करने को लेकर कानूनों में बदालव नए दिशा निर्देश तय करने की मांग उठी थी.

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