संचार साथी: नया पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर? केंद्र के ऐप अनिवार्य स्थापना आदेश से गोपनीयता पर सवालों का तूफान

नई दिल्ली: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने 28 नवंबर 2025 को एक आदेश जारी कर सभी स्मार्टफोन निर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया है कि वे भारत में बिक्री के लिए तैयार सभी नए मोबाइल हैंडसेट्स पर ‘संचार साथी’ ऐप को पूर्व-स्थापित करें। यह ऐप, जो राज्य द्वारा विकसित साइबर सुरक्षा उपकरण है, उपयोगकर्ताओं को हटाने या निष्क्रिय करने की अनुमति नहीं देगा।

मौजूदा बाजार में उपलब्ध फोनों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से इसे स्थापित करने का प्रयास किया जाना है। इस कदम का उद्देश्य आईएमईआई धोखाधड़ी रोकना, चोरी या खोए हुए फोनों को ट्रैक करना और टेलीकॉम साइबर सुरक्षा को मजबूत करना बताया गया है। लेकिन विपक्षी नेता, गोपनीयता कार्यकर्ता और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता इसे ‘बिग ब्रदर’ निगरानी का नया रूप बता रहे हैं, जो इजरायली पेगासस स्पाइवेयर से भी आगे का खतरा है।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “यह पेगासस प्लस प्लस है। बिग ब्रदर हमारा फोन और पूरी निजी जिंदगी पर कब्जा कर लेगा।” उनका बयान अतिशयोक्ति भरा लग सकता है, लेकिन सोशल मीडिया पर ‘पेगासस’ ट्रेंड कर गया। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “सरकार अब आधिकारिक रूप से लोगों पर जासूसी कर रही है? पेगासस?” दूसरे ने तंज कसा, “यह टैक्सपेयर्स का पैसा बचाएगा। पेगासस तो 10 हजार डॉलर प्रति फोन का था और जियोनिस्ट आतंकवाद को फंड करता था। यह विकसित भारत का असली स्वदेशी निगरानी उपकरण है।”

राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे “बिग बॉस निगरानी का एक और क्षण” कहा, जबकि सीपीआई(एम) सांसद जॉन ब्रिटास ने व्यंग्य किया, “अगला कदम तो स्पष्ट है: 1.4 अरब लोगों के लिए एंकल मॉनिटर्स, कॉलर और ब्रेन इम्प्लांट्स। तभी सरकार को पता चलेगा कि हम वास्तव में क्या सोचते और करते हैं।” राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने इसे “गोपनीयता और स्वतंत्रता पर सीधा हमला” बताते हुए कहा कि ‘सुरक्षा’ के बहाने सरकार को कॉल, टेक्स्ट और लोकेशन पर जासूसी का अधिकार मिल जाएगा।

संचार साथी ऐप जनवरी 2025 में लॉन्च हुआ था और अगस्त तक 50 लाख डाउनलोड्स पार कर चुका था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसने अक्टूबर तक 7 लाख से अधिक खोए या चोरी हुए फोन रिकवर करने में मदद की। ऐप उपयोगकर्ताओं को आईएमईआई नंबर सत्यापित करने, संदिग्ध फ्रॉड रिपोर्ट करने, खोए फोन ब्लॉक करने और अपने नाम पर रजिस्टर्ड मोबाइल कनेक्शन चेक करने की सुविधा देता है। यह सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) से जुड़ा है, जो सभी टेलीकॉम नेटवर्क पर काम करता है।

दूरसंचार मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024 के तहत है, जो नकली हैंडसेट खरीदने से बचाने और टेलीकॉम संसाधनों के दुरुपयोग की रिपोर्टिंग आसान बनाने के लिए है। 90 दिनों के भीतर सभी नए फोन पर इसे पूर्व-स्थापित करना होगा, और 120 दिनों में कंप्लायंस रिपोर्ट जमा करनी होगी। पुराने फोनों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट से प्रयास। अनुपालन न करने पर टेलीकॉम एक्ट 2023 के तहत 3 साल की जेल, 50 लाख तक जुर्माना या दोनों हो सकता है।

विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताते हुए वापस लेने की मांग की। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “यह एक पूर्व-स्थापित सरकारी ऐप है जो हटाया नहीं जा सकता—यह हर भारतीय को निगरानी करने का डिस्टोपियन उपकरण है।” सुप्रिया श्रीनाते ने वीडियो शेयर कर कहा, “पेगासस का अनुभव हमने झेला है।

यह ऐप पूरे देश पर निगरानी लगाने की कोशिश है।” डिजिटल राइट्स एक्टिविस्ट निखिल पाहवा ने कहा, “भारत ने कभी ऐसी अनहटाने योग्य राज्य ऐप अनिवार्य नहीं की। रूस में MAX मैसेंजर जैसा है।” इंडस्ट्री एक्जीक्यूटिव्स ने चिंता जताई कि यह डेटा गोपनीयता कानूनों से टकरा सकता है और उपयोगकर्ताओं को ऐप चुनने का अधिकार छीन लेगा।

एप्पल, सैमसंग, गूगल, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसे प्रमुख ब्रांड प्रभावित होंगे, जो भारत में 1.5 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन बेचते हैं। सरकार का कहना है कि यह फ्रॉड रोकने के लिए जरूरी है, लेकिन आलोचक पूछ रहे हैं कि बिना सार्वजनिक परामर्श के यह आदेश क्यों? पेगासस की तरह, जो चुनिंदा जासूसी के लिए इस्तेमाल हुआ, संचार साथी 1.2 अरब स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं पर सामूहिक निगरानी का खतरा पैदा कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐप की अनुमतियां—जैसे कैमरा, माइक, एसएमएस और लोकेशन एक्सेस—स्पाइवेयर जैसी हैं, हालांकि यह वैध रूप से स्थापित होगा। यह विवाद संसद के शीतकालीन सत्र में बहस का विषय बन सकता है, जहां गोपनीयता बनाम सुरक्षा का सवाल उठेगा।

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