
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना के बीच सीवान जिले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार ओसामा शहाब ने मजबूत बढ़त बना ली है। दिवंगत बहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा, जो अपना राजनीतिक सफर शुरू कर रहे हैं, के पास ताजा रुझानों में 22,996 वोट हैं, जो जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विकास कुमार सिंह से 5,088 वोट अधिक हैं। विकास के पास 17,908 वोट हैं।
यह मुकाबला कांटे का है, लेकिन ओसामा की बढ़त लगातार बढ़ रही है—छठे राउंड में यह 5,139 वोटों तक पहुंच चुकी है। कुल 25 राउंड्स में गिनती जारी है, और अंतिम नतीजे शाम तक स्पष्ट हो जाएंगे।
रघुनाथपुर, जो सीवान लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से एक है, परंपरागत रूप से RJD का गढ़ रही है। 2020 में RJD के हरिशंकर यादव ने यहां 17,965 वोटों (11.64%) के अंतर से जीत हासिल की थी, जबकि 2015 में 10,622 वोटों (7.52%) से। इस बार 6 नवंबर को पहले चरण में 61.45% मतदान हुआ, जो 2020 के 53.53% से अधिक है। मुख्य उम्मीदवारों में ओसामा शहाब (RJD), विकास कुमार सिंह (JDU), पशुपति नाथ चतुर्वेदी (जनशक्ति जनता दल), राहुल किर्ति (जन सुराज पार्टी) और कुमार संतोष (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) शामिल हैं। ओसामा ने लालू प्रसाद यादव से चुनाव चिन्ह प्राप्त किया था, जो उनके पिता शहाबुद्दीन की विरासत को मजबूत करने का संकेत है। विकास कुमार सिंह, जो व्यापारी और स्नातक हैं, के पास 8.4 करोड़ रुपये की संपत्ति है, लेकिन कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं।
शुरुआती राउंड्स में उतार-चढ़ाव देखा गया: दूसरे राउंड में विकास 45 वोटों से आगे थे, लेकिन तीसरे राउंड से ओसामा ने पलटवार किया। चौथे राउंड में अंतर 3,478 वोटों का हो गया, और अब यह 5,000 से ऊपर है। कुछ अपडेट्स में ओसामा के 26,814 वोट और विकास के 21,675 का जिक्र है, जो उनकी बढ़त को और मजबूत करता है। जन सुराज पार्टी का प्रभाव यहां कम नजर आ रहा है। यदि ओसामा जीतते हैं, तो यह महागठबंधन के लिए सीवान क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता होगी, जहां NDA की कुल बढ़त के बावजूद RJD ने कुछ सीटें बचाई हैं।
राज्य स्तर पर एनडीए 190+ सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें BJP को 86 और JDU को 76 सीटें मिल रही हैं, जबकि RJD को 34। महागठबंधन को 50+ सीटें मिल सकती हैं, लेकिन तेजस्वी यादव और तेज प्रताप जैसे दिग्गजों की हार ने गठबंधन को झटका दिया है। रघुनाथपुर का परिणाम शहाबुद्दीन की राजनीतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का संकेत दे रहा है।





