PM मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की बड़ी मीटिंग, जानिये इस बैठक की 10 अहम बातें

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के बाद आज अपने दिल्ली आवास पर जम्मू-कश्मीर के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ बातचीत की। इस बातचीत में राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कुल 14 नेता शरीक हुए हैं। बैठक में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह और एनएसए अजीत डोभाल में शामिल रहैं।

  1. जम्मू और कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित मुख्यधारा की आठ राजनीतिक पार्टियों के 14 नेताओं ने राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया को स्थापित करने के उद्देश्य से इस बैठक में भाग लिया। राज्य 2018 से राष्ट्रपति शासन के अधीन है, जब बीजेपी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
  2. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री आवास पर एक बड़े हॉल में बैठक के दौरान पीएम मोदी की अगुवाई की।
  3. हालांकि इस बैठक का कोई विशिष्ट एजेंडा अब तक सामने नहीं आया है लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन या पुनर्निर्धारण इसमें शामिल हो सकता है क्योंकि जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद विधानसभा चुनाव की दिशा में यह पहला कदम है।
  4. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में सात दलों के समूह गुपकर अलायंस ने कहा था कि वे बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने के लिए दबाव डालेंगे। कांग्रेस ने भी उनकी मांग की समर्थन दिया है।
  5. फारूक अब्दुल्ला ने बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा, “मैं बैठक में जा रहा हूं। मैं वहां मांगों को रखूंगा और फिर आपसे बात करूंगा।” गुपकर गठबंधन के प्रवक्ता और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा, “हमें कोई एजेंडा नहीं दिया गया है। हम यह जानने के लिए बैठक में शामिल होंगे कि केंद्र क्या पेशकश कर रहा है।”
  6. उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य का दर्जा बहाल करने पर “उचित समय पर” विचार किया जाएगा, लेकिन वह समय अभी नहीं आया है।
  7. अगस्त 2019 के बाद से यह केंद्र की पहली बड़ी पहुंच है, जब उसने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था आर महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला सहित कई राजनीतिक नेताओं को भारी सुरक्षा प्रतिबंधों के बीच हिरासत में ले लिया गया था।
  8. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि कोविड महामारी के बाद कम आतंकवाद की घटनाओं के साथ, राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का यह सही समय है।
  9. 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की भी चर्चा थी, लेकिन चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।
  10. दिसंबर में, जम्मू और कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव हुए थे, जिसमें गुपकर गठबंधन ने 100 से अधिक सीटें जीतीं थी, जबकि भाजपा 74 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।
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