मलमास की पद्मिनी एकादशी पूरी करती है हर मनोकामना, मिलता है पुण्य

मलमास में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी हर साल नहीं आती है बल्कि यह अधिकमास के साथ ही आती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संसार की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। साथ ही सालों की गई तपस्या, स्वर्ण दान और कन्या दान के बराबर पुण्य मिलता है।

पद्मिनी एकादशी

इस व्रत का धर्म के पालन करने वालों के सभी संसारिक लाभ के साथ ही मृत्य़ु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होता है। आइये जानते इस व्रत के विधि और पूजा के बारे में।

पूजा की विधि

सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर स्नान करकें भगवान विष्णु को याद करें। इस दिन भगवान से व्रत रखने की कामना करें। इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर य मूर्ति के सामने बैठ कर गंगाजल छिड़कें, उसके बाद रोली चावल से तिलक करें। फूल चढ़ाएं। ध्यान रखें आज के दिन फूल सफेद रंग के होने चाहिए।

आज के दिन भगवान को फलों का भोग लगाएं। सुबह शाम मंदिर जाकर आराधना करें। आज के दिन दोनों समय दीपक जलाएं। गरीबों और ब्राह्मणों को आज फलों का दान दें। रातभर जग कर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें। हो सके तो एक दिन जमीन पर सोएं और अगले सुबह जल्दी उठकर नहा कर मंदिर जाकर धूप और दीप जलाएं और तुलसी मां को जल चढ़ा कर व्रत को खोल लें।

पद्मिनी एकादशी के दिन क्या करें?

आज के दिन लहसुन,प्याज,बैंगन,मांसहार,पान सुपारी और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए। जो लोग इस व्रत के नहीं रखते हैं उनको भी इन सब से एक दिन खुद को अलग कर लेना चाहिए। कहते हैं आज के दिन त्याग से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इसलिए आज के दिन नींद का त्याग कर रातभर जागरण करना चाहिए।

क्या न करें?

आज के दिन खुद को काम भाव, लोभ से खुद को दूर रखना चाहिए। व्रत के दौरान कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। व्रत में नमक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। आज के दिन सादा खाना खाकर चाहिए।

 

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