MSME के सामने है अपना अस्तित्व बचाने का संकट, आय में बड़ी गिरावट की आशंका

कोरोना संकट की वजह से भारत के सूक्ष्म, लुघ और मध्यम उद्यम (MSME) अपना अस्तित्व बचाने के संकट से जूझ रहे हैं. उनकी आमदनी घटकर करीब 20 फीसदी पर पहुंच गई है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक स्टडी में यह बात सामने आई है.

अध्ययन के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से इस वित्त वर्ष में ज्यादातर एमएसएमई की आय में बड़ी गिरावट की आशंका है. पूरे देश में कोरोना संकट की वजह से ऐसे एमएसएमई पर सबसे बुरा असर पड़ा है जो लोगों के लिए गैर जरूरी सामान के उत्पादन (जैसे कपड़े आदि), निर्माण और निर्यात आधारित कारोबार में हैं. लॉकडाउन की वजह से करीब 75 दिन तक उत्पादन ठप रहा और सप्लाई चेन भी बाधित रहा.

सरकार के पैकेज से राहत क्यों नहीं

सरकार ने कोरोना संकट से देश के लोगों-कारोबार को राहत देने के लिए करीब 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. इसके तहत सरकार ने सूक्ष्म, लुघ और मध्यम उद्यमों (MSME) को 3 लाख करोड़ रुपये का लोन देने का ऐलान किया है. लेकिन क्रिसिल की स्टडी में यह बात सामने आई है कि इससे MSME को बहुत राहत नहीं मिलने वाली. क्रिसिल के अनुसार, सच तो यह है कि सरकारी आश्वासन के बावजूद इस वित्त वर्ष में MSME द्वारा लिए जाने वाले लोन में पहले के मुकाबले और गिरावट ही आएगी. यानी सरकार की इस नई योजना का MSME को खास फायदा नहीं होगा.

MSME के अलावा ज्यादातर सेक्टर के अन्य कारोबारी भी अगले वित्त वर्ष से पहले हालत में सुधार की कोई उम्मीद नहीं कर रहे. कोविड-19 की वजह से देश में सभी सेगमेंट की मांग में 80 से 85 फीसदी की गिरावट आई है और सभी सेगमेंट में निवेश भी काफी घट गया है.

रियल एस्टेट

क्रिसिल की स्टडी के अनुसार रियल एस्टेट कोविड-19 से सबसे ज्यादा मार खाने वाले सेक्टर में से एक है. सच तो यह है कि कोरोना से पहले भी इस सेक्टर की हालत काफी खराब चल रही थी. अब ​अनिश्चि​तता और प्रोजेक्ट्स में देरी की आशंका को देखते हुए खरीदार अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में हाथ लगाने वाले नहीं हैं.

ऑटो सेक्टर

मांग में कमी और अनिश्चिचता की वजह से ऑटो डीलर्स को भारी चोट पड़ी है. मार्च में थोड़ी जल्दबाजी में लोगों ने खरीद की थी जिससे इस सेक्टर की बिक्री में कुछ बढ़त हुई थी, लेकिन इसके बाद से तो इस सेक्टर की हालत बेहद खराब है.

कब आएगा सुधार

ज्यादातर जानकारों का मानना है कि वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही के बाद कुछ सुधार देखा जा सकता है, जब त्योहारी सीजन में मांग बढ़ेगी.

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