18 साल की उम्र तक नहीं डाली याचिका तो वैध माना जाएगा नाबालिग विवाह: हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने लुधियाना फैमिली कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर नाबालिग लड़की से शादी की जाती है तो यह शादी नाबालिग के 18 साल की उम्र तक अवैध रहेगी। लेकिन अगर इन 18 सालों में कोई याचिका दायर नहीं की जाती है तो शादी वैध हो जाएगी। यह फैसला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अरुण मोंगा ने सुनाया है।

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दरअसल, लुधियाना के एक जोड़े ने जिनकी शादी 27 फरवरी 2009 को हुई थी। दोनों ने पिछले साल 22 जून को लुधियाना फैमिली कोर्ट में अपनी शादी खत्म करने की याचिका दायर की थी। शादी के वक्त लड़की की उम्र 17 साल अधिक जबकि लड़के की उम्र 23 वर्ष थी। मामले में शख्स ने पत्नी के नाबालिग रहते ही शादी की थी। इस पर लुधियाना फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जोड़े की शादी मान्य नहीं है क्योंकि लड़की की उम्र शादी की समय 18 वर्ष से कम थी।

वहीं याचिका को खारिज करते हुए लुधियाना फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 का जिक्र करते हुए कहा कि विवाह को कानून वैध माने जाने के लिए दुल्हन की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए। फैमिली कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए जोड़े की इस याचिका को खारिज कर दिया था।

जबकि, हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय के अनुसार इसमें दोनों पक्षों को हिंदू युवा अधिनियम 1955 की धारा 13 दो (४) अनुसार उनकी शादी को रद्द कर देना चाहिए था। अधिनियम 1955 की धारा 13(2) के अनुसार विवाह को खत्म करने की याचिका तभी डाली जा सकती है, अगर लड़की की शादी 15 वर्ष की उम्र में हुई है और फिर 18 साल की होने से पहले ही उसने विवाह को रद्द करने की याचिका डाली हो।

कोर्ट का कहना है कि दोनों पक्ष 2017 तक साथ रहे। पत्नी ने अपनी शादी को अवैध घोषित कराने के लिए याचिका भी दायर नहीं की। जब पति पत्नी ने तलाक की याचिका दाखिल की, तब पत्नी बालिग हो गई थी। ऐसे में दोनों की शादी अब वैध हो गई। कोर्ट ने दोनों की तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया है।

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