महाशिवरात्रिः भूल से भी ना जपे भोले का ये नाम

13 फरवरी को भोलेनाथ के भक्त महाशिवरात्रि का व्रत रखेंगे. इस दिन को लोग एक उत्सव की तरह मनाते हैं. इस उत्सव से पहले जानें शिव और शंकर में अंतर. महादेव को कई नाम से सम्बोधित करते हैं. कभी हम भगवान शिव का नाम लेते है तो उन्हें शिव-शंकर भी कह देते है. लेकिन शायद आपको नहीं पता कि दोनों एक ही नाम और एक ही अर्थ है. लेकिन बता दूं कि दोनों का अर्थ और प्रतिमाएं भी अलग होती है.

महाशिवरात्रि

जैसा कि शिवरात्रि के नाम से स्पष्ट है कि शिव की याद में मनाई जाती है ना कि शंकर की. इसलिए शिव निराकार परमात्मा हैं और शंकर सूक्ष्म आकारी देवता हैं.

शिव की प्रतिमा अंडाकार और अंगुष्ठाकार होती है. वहीं शंकर का आकार हमारे जैसे शारीरिक आकार में होता है.

भगवान शिव

शिव एक परमात्मा है, जिसका कोई भी शरीर नहीं है. शिव मुक्तिधाम में वास करते है, जहां पर कोई वास नहीं करता है. शिव ने ही भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शंकर की रचना की थी.

जब भगवान शिव के हाथों में तीनों शक्तियां यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और शंकर होते हैं तो वह जीव की उत्पत्ति कर सकते है और नष्ट भी कर सकते हैं.

भगवान शंकर

यह ब्रह्मा और विष्णु की तरह ही सूक्ष्म शरीर धारण किए हुए हैं, जिसके कारण इन्हें महादेव कहा जाता है. शंकरपुरी में निवास करते हैं. यह परमात्मा शिव की एक रचना हैं. जैसे ब्रह्मा और विष्णु हैं. भगवान शंकर सिर्फ विनाश करते है. इनके हाथों में उत्पत्ति नहीं है. यह मानव का किसी न किसी तरह से संहार करते है.

 

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