ये थी महंत गिरी की अंतिम इच्छा, अपने उत्तराधिकारी को दी इसकी ज़िम्मेदारी

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार को संदिग्ध परिस्तिथयों में मृत्यु हो गई, जसिके बाद आज उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। इसके बाद आज दोपहर उन्हें भू समाधि दी जानी है। महंत गिरि की मौत की खबर मिलते ही कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले की जांच करने के लिए 18 सदस्यीय SIT भी गठित की गई है। इसी बीच महंत के शिष्य रहे बलबीर गिरि उनका उत्तराधिकारी भी घोषित किया जाना है।

गौरतलब है कि जिस कमरे में में महंत गिरि फांसी के फंदे पर लटके मिले थे, उसी कमरे से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया था, जिसमें महंत ने अपने 15 साल पुराने शिष्य बलबीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। बता दें कि बलबीर हरिद्वार आश्रम के प्रभारी थे। सुसाइड नोट में महंत ने अपनी अंतिम इच्छा भी ज़ाहिर की है। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को पार्क में नींबू के पेड़ के पास उनकी समाधि लगाने की ज़िम्मेदारी दी है।

गौरतलब है कि बरामद हुए सुसाइड नोट में महंत गिरी ने लिखा है कि मेरा मन आनंद गिरी के चलते बहुत विचलित हो गया है। उसने मुझे बदनाम करने का प्रयास किया है। बदनामी से जीने से बेहतर है मर जाना।

LIVE TV