मां काली के इस मंदिर में लगती हैं कतारें, सुनाई देती है जयकारों की गूंज

पूरे देश में नवरात्र की धूम है. घरों से लेकर मंदिरों तक मां के जयकारे की गूंज सुनी जा सकती है. वैसे तो कई मंदिर हैं जहां भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन नवरात्र के शुभ अवसर पर कोलकाता के काली मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है. कोलकाता में मुख्य रूप से मां काली की आराधना की जाती है.

काली मंदिर

यहां मां काली का सबसे बड़ा मंदिर दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से मशहूर है. ऐसा माना जाता है कि कोलकाता में मां काली निवास करती हैं. यह हुगली नदी के किनारे मठ के पास स्थित है. यह काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. इस स्थान पर माता सती के दाएं पैर की चार उंगलियां गिरी थी.

मंदिर में 12 गुबंद और चारों तरफ भोलेनाथ की 12 प्रतिमाएं लगी हुई हैं. मंदिर के भीतरी भाग में चांदी से बनाया गया कमल का फूल है, जिसकी हजार पखुंड़ियां हैं, जिस पर मां काली अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं.

कहा जाता है कि एक समय यहां रासमणि नाम की रानी थी. रासमणि मां काली की बड़ी भक्त थी. रानी समुद्र के रास्ते होते हुए काशी के काली मंदिर में पूजा करने के जाती थी. एक बार रानी अपने संबंधियों और नौकरों के साथ मां काली के मंदिर में जाने की तैयारियां कर रही थीं. तभी रानी को मां काली ने सपने में दर्शन देकर इसी स्थान पर माता का मंदिर बनवाने और उनकी सेवा करने का आदेश दिया. माता काली के आदेश पर रासमणि रानी ने  वर्ष 1847 में यहां मंदिर बनवाना शुरु किया, जोकि वर्ष 1855 तक बनकर तैयार हुआ.

इस मंदिर में गुरु रामकृष्ण परमहंस को मां काली ने साक्षात् दर्शन दिए थे. मंदिर परिसर में परमहंस देव का कमरा है, जिसमें उनका पलंग तथा स्मृतिचिह्न उनकी याद में रखे हुए हैं.

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