घर के साथ-साथ ऑफिस बनवाते दौरान भी रखें इन बातों का ध्यान, होगा दोगुना मुनाफा

आज के समय में अपने जीवनयापन के लिए साधन होने की बहुत ही आवश्यकता होती है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आजकल बेरोजगारी सर चढ़कर बोल रही है। उसी की जद्दोदहज में आज के युवा जो ना करें कम है। कोई अपना रोजगार करता हो तो कोई दूसरे को रोजगार को आगे बढ़ाने का काम करता है। इसलिए आज हम आपको वास्तु के कुछ नियम बताने जा रहे हैं जिससे आपके ऑफिस बनवाने में मदद मिलेगी साथ ही आपको हमेशा मुनाफा ही देखने को मिलेगा।

व्यापार करने के लिये ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) से देव कृपा, अग्रि कोण (दक्षिण-पश्चिम) से समृद्धि, उत्तर दिशा से व्यापारिक सम्बन्धों में बढ़ोत्तरी, नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) से स्थिरता, पूर्व दिशा से सम्मान और सरकारी कार्य, वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) से कार्यों में गति, दक्षिण से वर्चस्व व पश्चिम से कर्मचारियों की निष्ठा प्रभावित होती है। अत: कोई भी दिशा अगर वास्तु अनुरूप नहीं है तो व्यवसाय की गाड़ी का वह पहिया रुक जायेगा।

यह भी पढ़ें- कर्ली हेयर पर इन चार कट से यूं निखरेगी पर्सनैलिटी

वास्तुशास्त्र के अनुसार फैक्ट्री या उद्योग के लिए सदैव ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिस पर तुलसी का पौधा पनपता हो अर्थात भूमि का उपजाऊ और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो। व्यापारिक परिसर का भूखण्ड वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। याद रखें आयताकार में भूखण्ड़ की लम्बाई चौड़ाई के दुगने से ज्यादा नहीं होनी चाहिये। यदि औद्योगिक भूखण्ड का ईशान कोण बढ़ा हुआ हो तो ऐसी भूमि स्वीकार की जा सकती है परन्तु इसके अलावा किसी भी दिशा का बडऩा व घटना शुभ नहीं होता।

छत पर पानी का टैंक या संचयन पश्चिम दिशा, या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।फैक्ट्री या उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी एवं मजदूरों के लिए कमरा हमेशा पश्चिम क्षेत्र में बनाना चाहिए। ऐसा करने से कर्मचारी निष्ठा से कार्यों को सम्पादित करते हैं। व्यवसायिक परिसर में स्नानगर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान पूर्व दिशा है।

यह भी पढ़ें- बेली फैट के साथ-साथ थाई फैट भी कम करना है मुश्किल, इधर जानें कम करने वाली एक्सरसाइज

व्यवसायिक भूखण्ड में उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र को हल्का एवं खुला हुआ रखना चाहिए। क्योंकि ईशान क्षेत्र को अवरूद्ध या बंद रखने से ईश्वरीय शुभ ऊर्जा में रुकावट आती है जिससे धन का आगमन और व्यवसाय की प्रगति रूक जाती हैं। भूखण्ड के मध्य स्थान अर्थात् ब्रह्म स्थान को खुला रखना चाहिए। इस स्थान पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य करना व्यवसाय में निरंन्तर परेशानियों को जन्म देता है।

LIVE TV