Kargil Vijay Diwas 2020: केवलानंद द्विवेदी ने सिर्फ ने कहा-कमला तुम बच्चों को संभालना, मैं देश की रक्षा के लिए जा रहा हूं

बात सन 1999 की है। जब कमला द्विवेदी बहुत बीमार चल रही थी। दोनों बेटे तिलक राज और हेमचंद बहुत छोटे थे। सेना की 15 कुमाऊं में तैनात लांस नायक केवलानंद द्विवेदी 26  मार्च 1999 को घर आए हुए थे। लखनऊ में पत्नी के इलाज और बच्चों की देखभाल में कब दो महीने की छुट्टी बीत गई पता ही नहीं चला। इस बीच यूनिट से एक तार आ गया। जिसमें कारगिल के हालात बिगडऩे के कारण बिना देरी के जम्मू कश्मीर में अपनी यूनिट में संपर्क करने को कहा गया। हाथ में तार लेकर लांस नायक केवलानंद द्विवेदी ने सिर्फ इतना कहा कि कमला तुम बच्चों को संभालना। मैं देश की रक्षा के लिए जा रहा हूं। बस लांसनायक केवलानंद द्विवेदी पत्नी को ढांढस बंधाकर रणभूमि को चल दिए। जहां दुश्मनों को परास्त करते हुए वह वीर गति को प्राप्त हुए। उनको इस बलिदान और वीरता के लिए वीर चक्र मरणोपरांत प्रदान किया गया।

लांसनायक केवलानंद द्विवेदी का जन्म पिथौरागढ़ में 19 जून 1968 को हुआ था।  दो भाइयों में वे बड़े थे। जबकि उनके पिता ब्रह्मदत्त द्विवेदी सेना में सूबेदार थे। शहीद लांसनायक केवलानंद की शादी सन 1990 में कमला द्विवेदी से हुई थी। उस समय केवलानंद द्विवेदी  22 साल और कमला की उम्र बीस साल की। केवलानंद द्विवेदी जिस 15 कुमाऊं रेजीमेंट में थे। उस इंफेंट्री रेजीमेंट को उन दिनों चरम पर पहुंचे आतंकवाद के खात्मे के लिए लगाया गया था। यहीं कारण था कि शादी के नौ साल तक केवलानंद द्विवेदी केवल चार बार ही अपने घर आ सके थे। उनकी तैनाती जिन स्थानों पर थी। वहां परिवार को साथ रखने की अनुमति नहीं थी। लिहाजा केवलानंद द्विवेदी ने अपने परिवार को लखनऊ में ही छोड़ दिया था। लखनऊ से दो महीने की छुट्टी के बाद जब लांस नायक केवलानंद द्विवेदी कारगिल पहुंचे तो उन्होंने आखिरी बार 30 मई 1999 की सुबह अपनी कमला को फोन किया। पहले तो कमला डर गई लेकिन जब दूसरी ओर से उन्होंने केवलानंद द्विवेदी की आवाज सुनी तो राहत की सांस ली।  लांसनायक केवलानंद द्विवेदी ने कहा कि मैं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कारगिल के अग्रिम मोर्चे पर जा रहा हूं। तुम बच्चों और परिवार का ख्याल रखना। इसके बाद केवलानंद द्विवेदी का परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ।

छह जून को एक फोन जरूर केवलानंद द्विवेदी के घर आया। फोन उनके पिता ब्रह्मदत द्विवेदी ने उठाया। कमला ने पूछा पिताजी क्या बात है। पिता ब्रह्मदत बोले देश की रक्षा करते हुए केवल (केवलानंद द्विवेदी) बलिदानी हो गए। यह सदमा पत्नी कमला के साथ उनकी मां बर्दाश्त न कर सकीं। कमला का उपचार सैन्य अस्पताल में कराया गया। जबकि मां ने भी कुछ दिन बाद दम तोड़ दिया। केवलानंद द्विवेदी ऊंचाई से गोलीबारी कर रहे दुश्मनों का बहादुरी से सामना करते रहे। सीने में गोलियां लगने के बावजूद वह अंतिम सांस तक राइफल से दुश्मन पर प्रहार करते रहे।

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