ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन JEE-2018 परीक्षा का बदल गया पैटर्न, जानें क्या हुआ बदलाव

नई दिल्ली| अगले साल से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाले ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन में दो बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। वहीं परीक्षा की बात करें तो ये पूरी तरह से कंप्यूटर पर आधारित होगी और नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) साल में दो बार इसका आयोजन करेगी।

ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन JEE-2018 परीक्षा का बदल गया पैटर्न, जानें क्या हुआ बदलाव

सिर्फ इतना ही नहीं परीक्षा 14 दिनों तक चलेगी और हर दिन में कई सेशन्स होंगे।पहला बदलाव इसकी रैंकिंग से संबंधित है जबकि दूसरा जेईई परीक्षा के फॉर्मेट या पैटर्न से। बता दें कि पहले रैंकिंग के लिए छात्रों द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों से फैसला किया जाता था लेकिन अब पर्सेंटाइल स्कोर पर रैंकिंग तय होगी।

एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से जेईई-मेन की परीक्षा कंप्यूटर आधारित हो जाएगी और परीक्षा का आयोजन साल में दो बार जनवरी और अप्रैल महीने में होगा। छात्रों के पास दोनों में से किसी भी एक परीक्षा में बैठने का ऑप्शन होगा। परीक्षा का आयोजन 14 दिनों तक होगा और हर दिन कई सेशन्स होंगे। ऐसा करने के पीछे परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी और गड़बड़ी को रोकने का उद्देश्य है।

परीक्षा का फॉर्मेट
वहीं परीक्षा के फॉर्मेट के बारे में बताते हुए एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हर सेशन में छात्रों को सवालों के अलग सेट्स मिलेंगे। कोशिश रहेगी कि सभी सत्रों के पेपर में एक जैसे सवाल पूछे जाएं। हालांकि किसी सत्र का पेपर ज्यादा कठिन तो किसी का थोड़ा आसान हो सकता है। प्रश्नपत्रों में कठिनाई के स्तर से निपटने के लिए नई व्यवस्था की गई है। प्रत्येक सेशन का पर्सेंटाइल स्कोर उस खास सेशन में छात्रों के प्रदर्शन के अनुसार होगा।’
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अधिकारी ने बताया कि कठिन प्रश्नों के अलग-अलग स्तर की स्थिति में कुछ छात्रों को ज्यादा मुश्किल सवालों वाले प्रश्नपत्र के सेट्स मिल सकते हैं जिससे उनको कम मार्क्स भी मिल सकते हैं। ऐसे में पर्सेंटाइल स्कोर के आधार पर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि परीक्षा के कठिनाई स्तर की वजह से किसी छात्र के साथ कोई अन्याय न हो।

एचआरडी मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली में अंडरग्रैजुएट-एमबीबीएस टेस्ट के लिए पर्सेंटाइल स्कोर के आधार पर जिस तरह की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, उसी प्रक्रिया का एनटीए स्कोर तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

 

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