ISI के निर्देशों पर आम लोगों को इस तरह आतंकी बनाते थे मॉड्यूल के ऑपरेटर

नई दिल्ली। आईएसआईएस के नए मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद इसकी सारी तहें परत-दर-परत खुल रही हैं और हर परत के साथ नई जानकारी भी सामने आ रही हैं।

 

बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जिस आईएस मॉड्यूल की हकीकत खोली, उसका ऑपरेटर असल में ‘अबु हुफैजा’ अल बकिस्तानी था, जो इसे ऑनलाइन नियंत्रित किया करता था।

खबर है कि उसके नेटवर्क में करीब दो दर्जन भारतीय युवा शामिल थे, जिन्हें उसने अपने नापाक मसूबों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बरगलाया था। वहीं ये भी आशंका जताई जा रही है कि ‘अबु हुफैजा’ पाकिस्तान का एक ट्रेन नागरिक है, जो वहां की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के लिए लोगों का ब्रेन वाश करने का काम कर रहा था।

खबरों के मुताबिक़ फेसबुक पर शुरुआती संपर्क के बाद युवाओं को थ्रीमा और टेलिग्राम के क्लोज ग्रुप चैट में जोड़ा जाता था।

खुफिया एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि इस हैंडल की गहन जांच करने के बाद यह बात पता चली है कि हुफैजा एक ट्रेन पाकिस्तानी नागरिक है जो भारतीय युवाओं को बरगलाने का काम कर रहा था। हो सकता है कि वह इस काम को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए अंजाम दे रहा हो।

बता दें ‘अबु हुफैजा’ का हैंडल विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच और ऑपरेशन में सामने आया है। जिसमें तेलंगाना की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट भी शामिल है, जिसने बुधवार के ऑपरेशन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया करवाई थी। इस बात की कई सूत्रों ने पुष्टि की है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘यह हैंडल असमान्य रूप से पिछले साल तब सक्रिय हुआ जब ऑनलाइन आईडी यूसुफ अल हिंदी अचानक गायब हो गई। इंडियन मुजाहिद्दीन से बगावत करके आईएस के खोरासन मॉड्यूल में शामिल होने वाला शफी अरमार इस हैंडल को संचालित और भारतीय युवाओं को इसमें शामिल करने का काम करता था।’

अरमार जोकि कर्नाटक के भटकल से था, माना जाता है कि पिछले साल सीरिया में उसकी मौत हो गई है। अनुमान है कि उसने 1000 युवाओं को प्रेरित किया है, जिसमें ज्यादातर दक्षिण एशिया से हैं। वह युवाओं को सीरिया आकर लड़ने के लिए कहता था। उसका भाई सुल्तान अरमार 2016 में हुई ड्रोन स्ट्राइक में मारा गया था। एक बार अल हिंदी का हैंडल गायब हुआ, युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ आकर्षित करने की कई कोशिशे की गईं।

हालांकि असल परेशानी तब शुरू हुई जब ‘अबु हुफैजा’ का हैंडल विभिन्न प्लेटफॉर्म पर दिखने लगा और सफलतापूर्वक युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा था। भारतीय जांच एजेंसी ने अक्टूबर में हुफैजा के हैंडल को ट्रैक करना शुरू किया। जिसे कि कई प्रॉक्सी सर्वर के जरिए संचालित किया जा रहा था।

बताया जा रहा है कि इस मॉड्यूल का खुलासा करने से पहले भारतीय जांच एजेंसियां लगातार उन भारतीय पर नज़र बनाए हुए थीं, जो किसी न किसी तरह से इससे जुड़े हुए थे।

बिहार : वैशाली में पूर्व सरपंच की गोली मारकर हत्या

जांच एजेंसियों का कहना है कि इस ऑनलाइन हैंडल से जितने भी लोग जुड़े हुए थे, वे कहीं न कहीं पहले से अपराध के राहगीर थे। ऐसे लोगों की ही इस IS मॉड्यूल को तलाश रहती थी।

ताकि उन्हें आसानी से आतंक की राह पर मोड़ा जा सके। साथ ही लोगों को अपने साथ मिलाने के लिए उन्हें मॉड्यूल में महत्वपूर्ण पद और बड़ी रकम का भी ऑफर किया जाता था।

LIVE TV