ईरानी विशेषज्ञों ने अमेरिकी प्रतिबंधों के महत्व को कम आंका

तेहरान। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भले ही ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाकर अपने लक्ष्य को हासिल करना चाह रहा हो लेकिन उसकी संभावना के विपरीत इससे तेहरान की अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा।

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रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन ने अगस्त में प्रतिबंधों के पहले चरण को दोबारा से लागू किया था। देश के ऊर्जा क्षेत्र समेत अन्य चीजों को निशाना बनाने वाला अगला चरण पांच नवंबर से प्रभावी होगा।

प्रिंसटन विश्वविद्यालय के मध्यपूर्व नीति विशेषज्ञ व पूर्व ईरानी परमाणु वार्ताकार सैयद हुसैन मुस्सावैन ने कहा, “ईरान पर 40 वर्षो से ज्यादा समय से प्रतिबंध लगे हुए हैं, इसमें कुछ नया नहीं है।”

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उन्होंने कहा, “प्रतिबंधों को झेलने में ईरान दुनिया का सबसे अनुभवी देश है। मुझे नहीं लगता कि इस क्षेत्र में किसी अन्य देश ने ईरान की तरह प्रतिबंधों के खिलाफ टक्कर लेने की क्षमता दिखाई हो या अनुभव किया हो।”

लेकिन, मुस्सावैन ने स्वीकार किया कि प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप आना वाला वक्त ईरान की अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल रहेगा।

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उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध ईरान के परम्परागत हथियार उद्योग को कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

अमेरिका, ईरान के साथ हुए एक बहुपक्षीय परमाणु समझौते से मई में बाहर हो गया था और समझौते के तहत हटाए गए सभी प्रतिबंधों को दोबारा से लगाने की धमकी दी थी।

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