IPS ने किया बड़ा खुलासा, करोड़ों कारतूसें हैं गायब, बिहार और झारखंड में हो रही कालाबाजारी !

उत्तर प्रदेश के एक आईपीएस अफसर ने लाइसेंसी असलहाधारियों के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया है. आगरा के एसएसपी रहे अमित पाठक ने सूबे के पुलिस प्रमुख ओपी सिंह को भेजी गई.

एक खुफिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि ज्यादातर लाइसेंसी असलहों के करोड़ों कारतूस गायब हैं, जिनकी कालाबाजारी बिहार और झारखंड में हो रही है. ये कारतूस वहां से आने वाले अवैध असलहों के बदले सप्लाई किए जा रहे हैं.

इस मामले में एडीजी (कानून-व्यवस्था) पीवी रामाशास्त्री ने बताया कि आगरा के पूर्व एसएसपी ने कारतूस की वेरिफिकेशन को लेकर एक रिपोर्ट डीजीपी मुख्यालय को भेजी है.

इसका अध्ययन क्राइम विंग से कराया जा रहा है. रिपोर्ट में कई उल्लेखनीय तथ्य हैं. जल्द ही इस संबंध में जिलों के अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएंगे, जिससे कारतूसों की कालाबाजारी रोकी जा सके.

जांच में ये भी शंका जताई गई है कि कालाबाजारी के जरिए भेजे गए ज्यादातर कारतूसों का इस्तेमाल अवैध तरीके से अपराधी कर रहे हैं.

अवैध तरीके से हासिल किए गए इन कारतूसों की खपत यूपी में भी कम नहीं है. गौर करने वाली बात है कि अवैध असलहों से सबसे अधिक हत्या की वारदात यूपी में ही होती हैं.

 

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आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में हर साल लगभग 1500 हत्याएं गोली मारकर की जाती हैं, जिनमें से दस प्रतिशत मामलों को छोड़कर बाकी मामलों में इस्तेमाल किए जाने वाले कारतूस अवैध ही होते हैं.

अधिकतर मामलों में अवैध असलहों का ही प्रयोग होता है. इन असलहों में इस्तेमाल होने वाला कारतूस वैध असलहाधारियों और दुकानदारों की मिलीभगत से हासिल किए जाते हैं.

बिहार और झारखंड में भी हर साल गोली मारकर हत्या करने की 800 से 1000 वारदात होती हैं, जबकि अन्य राज्यों में यह संख्या 100 भी नहीं है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में अवैध शस्त्र बनाने की 240 फैक्ट्री पकड़ी गई थीं. चुनाव के दौरान 10 हजार 575 अवैध असलहे भी जब्त किए गए थे.

जाहिर है इन असलहों के लिए कारतूस की भी जरूरत होती है, जिसका निर्माण इस पैमाने पर किया जाना संभव नहीं है. यह कारतूस कालाबाजारी से ही हासिल किया जा सकते हैं.

अवैध कारतूस हासिल करने के लिए यूपी एक बड़ा बाजार है, जहां लाखों की संख्या में असलहों के लाइसेंस जारी किए गए हैं. लेकिन असलहों के साथ कारतूस का ऑडिट शायद ही कभी होता हो.

गृह विभाग के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में असलहा और इसका लाइसेंस रखना स्टेटस सिंबल माना जाता है. यहां 12.78 लाख लोगों के पास असलहे का लाइसेंस है.

राजधानी लखनऊ की आबादी लगभग 45 लाख है और यहां सबसे अधिक 53,033 लोगों के पास असलहों के लाइसेंस हैं. यानी हर 85वें व्यक्ति के पास असलहे का लाइसेंस है.

दूसरे नंबर पर जम्मू-कश्मीर है. वहां आतंकवाद की वजह से असलहों के लाइसेंस आसानी से हासिल हो जाते हैं. बावजूद इसके वहां असलहा लाइसेंसधारियों की संख्या 3.69 लाख है.

पंजाब में भी आंतरिक आतंकवाद को लेकर सबसे अधिक असलहों के लाइसेंस दिए जाते रहे हैं. वहां 3.59 लाख लोगों के पास असलहों का लाइसेंस है.

नए नियमों के मुताबिक यूपी में एक असलहाधारी एक साल में अधिकतम 200 कारतूस खरीद सकता है. साथ ही एक साथ 100 कारतूस रख सकता है.

पहले यह संख्या काफी कम थी. नया कारतूस हासिल करने के लिए इस्तेमाल किए गए 80 प्रतिशत कारतूस का खोखा जमा करना होता है.

पुलिस महकमे में असलहों और कारतूसों की देख-रेख करने वाली लॉजिस्टिक विंग की मानें तो कारतूसों की कालाबाजारी रोकने के लिए पहले एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, जिसका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है.

इसमें कारतूस पर नंबरिंग का प्रावधान करने की बात कही गई थी, लेकिन शासन स्तर पर इस पर अमल नहीं हो सका. अगर यह प्रावधान लागू कर दिया जाए तो हत्या की घटनाओं में काफी कमी आएगी. साथ ही हत्या में इस्तेमाल कारतूस के खोखे से यह पता लगाना आसान होगा कि यह किस असलहाधारी को दिया गया था.

 

यूपी के इन जिलों में सर्वाधिक शस्त्र लाइसेंस-

 

लखनऊ      53033

आगरा       47102

बरेली        45896

प्रयागराज     45841

कानपुर नगर  39095

 

इन पांच राज्यों में यूपी के प्रमुख जिलों से कम लाइसेंसधारी हैं-

 

दिल्ली         38754

तमिलनाडु      22532

असम         19283

ओडिशा        20588

केरल          9459

 

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