पूरे एक दशक बाद होगा फैसला, योगी के ‘जले’ पर लगेगा मरहम या छिड़का जाएगा नमक

लखनऊ। 2007 में गोरखपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाया जाए या नहीं, इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार को फैसला करेगा।

योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा

योगी के अलावा इस मामले में कई और लोग भी अभियुक्त हैं। योगी पर 2007 में ‘नफरत फैलाने वाला भाषण देने’ का आरोप लगाया गया था।

इस दंगे के लिए तत्कालीन सांसद व मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था। कहा गया था कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही दंगा भड़का था।

इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।

इस मामले में राज्य सरकार ने पिछले साल आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं।

याचिकाकर्ता परवेज़ परवाज़ की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और एसी शर्मा की बेंच ने सुनवाई कर लम्बी बहस के बाद 18 दिसम्बर 2017 को निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था।

बता दें कि 11 साल पहले 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इस दंगे में दो लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे।

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