जानें EVM का इतिहास, कीमत सुन उड़ जाएंगे होश

चुनावों में ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप लगते रहे और अब सभी दल भी ईवीएम के स्थान पर मतपत्र से चुनाव करवाने की मांग की जा रही है. ईवीएम एक मशीन है, जिसके माध्यम से भारत में चुनाव करवाए जा रहे हैं.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट-से बनी होती है. कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास होती है और बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है. इसके माध्यम से आप अपना मत अपने पसंदीदा उम्मीदवार को दे सकते हैं.

कब से हुई शुरुआत: पहली बार नवम्बर 1998 में आयोजित 16 विधान सभाओं के साधारण निर्वाचनों में इस्तेमाल किया गया. इन 16 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्रों में से मध्य प्रदेश की 5, राजस्थान की 5, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली की 6 सीट शामिल थीं.

बिना बिजली भी होता है इस्तेमाल: ईवीएम 6 वोल्ट की एल्कलाइन साधारण बैटरी पर चलती है. इसलिए ईवीएम का ऐसे क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है.

आज के दिन प्रयागराज की धरती पर होगे इतने कार्यक्रमों के आयोजन

साल 1989-90 में जब मशीनें खरीदी गई थीं उस समय प्रति ईवीएम (एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट एवं एक बैटरी) की लागत 5500/- थी. प्रारंभिक निवेश भले ही अधिक हो, लेकिन इससे मत पत्र से होने वाले वोटिंग की तुलना में कम खर्च होता है.

LIVE TV