मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने का कारण आया सामने,आप भी जाने..

भारत में मुसलमानों की जनसंख्या को लेकर एक रिपोर्ट आ रही है, जहां बताया जा रहा है कि मुसलमानों की जन्मदर में गिरावट आ रही है बता दें कि 1951 से लेकर अब तक हिंदू और मुसलमानों की जनसंख्या मे कुछ ज्यादा अंतर नहीं आया है।

 

अमेरिका के non-profit ऑर्गेनाइजेशन प्यू रिसर्च सेंटर के शोध में यह पता चला कि भारत में हिंदू मुस्लिम, ईसाई सीख,बौद्ध और जैन इन सभी धर्मों में जन्मदर में कमी देखने को मिली है।

बता दें कि 1952 में मुसलमानों की जनसंख्या 4.4 थी, जो 2015 में 2.6 पर आकर रह गई। वही अगर हिंदुओं की बात की जाए तो 2015 में 3.3 से घटकर 2.1 पर आ गई। जिसके बाद ही मुसलमानों और हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि की खबरे आ रही थी। लेकिन इन आकडों से साफ जाहिर हैं कि दर में बहुत कम अंतर आया हैं। जिसके बाद हिंदू और मुसलमानों की जनसंख्या के मुकाबले हिंदु की जनसंख्या0.5 कम हैं। ये अंतर कभी 1.1 का हुआ करता था।

मुसलमानों की जनसंख्या किसी अन्य समुदाय के मुकाबले अब भी ज्यादा है लेकिन उनके ग्रोथ रेट में काफी कमी आई हैं। भारत की औसतन जन्मदर 2.2 है, जो 1951 के मुकाबले  काफी कम हैं। 2019 के एक सर्वे में पता चला कि असम के मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि में काफी तेजी से गिरावट आई हैं। असम में मुसलमानों की जनसंख्या दर 2.44 है,वहीं हिंदुओं की जनसंख्या दर 1.6 हैं।

 भारत में मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की बातें की जा रही हैं। बताया जा रहा हैं कि उनकी आबादी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है लेकिन प्यू रिसर्च सेंटर का कहना है कि यह सारी बातें बेबुनियाद हैं। और इसका कोई आधार नहीं है, उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से साफ पता चलता हैं कि अन्य समुदायों की तरह मुसलमानों की भी जन्मदर में काफी गिरावट आई है।

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