BJP ने मेनका और वरुण गांधी को किया दरकिनार, हर जगह से हुए गायब

अभिनव त्रिपाठी

पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी और उनके बेटे पीलीभीत सांसद वरुण को भाजपा की तरफ से जारी की गई 30 स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर दिया गया है। आपको बता दें कि अभी हाल में ही मेनका और वरुण गांधी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति से बाहर किया गया था। तब से इन दोनों के किसी और पार्टी का दामन थामने की चर्चा तेज हो गई थी पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा ने इन्हे स्टार प्रचारकों की सूची से भी बाहर करके इनके जख्मों पर चोट देने का काम किया है।

फायर ब्रांड नेता के रूप में गिने जाते थे वरुण
वरुण गांधी की गिनती कम उम्र में ही बड़े नेताओं में की जाने लगी थी इसकी वजह थी उनकी कुशल कार्यशैली। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में वरुण अपनी इसी शैली की बदौलत प्रदेश भर के हर शहर से लेकर गाँव तक की सभी विधानसभाओं में तूफ़ानी दौरा करते थे। उनका नाम सुनते ही भारी भीड़ एकत्रित हो जाती थी। भाजपा की तरफ से 2017 चुनाव प्रचार में उनके लिए हेलीकाप्टर का भी प्रबंध कराया गया था पर इस बार उन्हे स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पद के भी थे दावेदार
2017 विधानसभा चुनाव में जब भाजपा को 312 सीटें मिली तो उस समय वरुण गांधी अपनी कुशल कार्यशैली और लोकप्रियता की वजह से युवाओं की पहली पसंद बन चुके थे। जगह-जगह पोस्टर वैनर के माध्यम से समर्थक उन्हे मुख्यमंत्री पद पर आसीन करने की मांग कर रहे रहे थे। पार्टी में भी उनके नाम को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह मंजूर नहीं था इसलिए उन्हे मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

वाक शैली रही है वजह
वरुण गांधी देश भर में अपनी वाकशैली की वजह से ही जाने जाते है , वो अपने भाषण के जरिए लोगों के अंदर जोश भर देते है। इसी जोश के साथ वो अपनी ही पार्टी की गलत नीतियों का विरोध करते हुए भी देखे गए है। चाहे किसान आंदोलन रहा हो या फिर शिक्षक भर्ती मामला वरुण गांधी ने सरकार की गलत नीतियों का खूब जमकर विरोध किया था। जिसकी वजह से वो अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ गए है जिसका खामियाजा उन्हे भुगतना पड़ा उन्हे राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति से बाहर कर दिया गया।

क्या बढ़ गई है वरुण और बीजेपी के बीच में दूरियां
जानकारों की माने तो वरुण गांधी और बीजेपी के बीच में तालमेल कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के अंदर उनके नाम की कोई चर्चा भी नहीं होती न ही कभी उन्हे पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में भी नहीं देखा जाता है। एक दौर था जब वरुण गांधी ऐसे सम्मेलनों का प्रतिनिधित्व करते थे पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है की उनकी पार्टी से दूरियाँ बढ़ती जा रही है जिसका मौजूदा उदाहरण पार्टी का उन्हे स्टार प्रचारकों की सूची में न शामिल करने से पता चलता है।

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