Adi Shankaracharya Jayanti 2020: जानिए रोचक तथ्य!

आदि शंकराचार्य अद्धैत वेदांत के प्रणेता थे।उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरुपता पर आधारित है जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरुपों में रहता है।आदि शंकाराचार्य ने देश में 12 ज्योतिर्लिंगों और भारत के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। ये चार मठ हैं- श्रृंगेरी मठ, गोवर्द्धन मठ, शारदा मठ और ज्योतिर्मठ। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पचंमी तिथि को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जाती है।

  • मंदिर वही पहुंचता है जो धन्यवाद देने जाता हैं, मांगने नहीं।
  • मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने की तरह है, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते हैं। जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है।
  • जिस तरह एक प्रज्वलित दीपक के चमकने के लिए दूसरे दीपक की जरुरत नहीं होती है। उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे और किसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए।

कोरोना को लेकर भारत के लिए बड़ी खबर, अमेरिका अब भी पहले नंबर पर…

तीर्थ करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।

  • जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए तो दुनिया की चीजे अर्थहीन लगती हैं।
  • हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि आत्मा एक राजा के समान है जो शरीर, इंद्रियों, मन, बुद्धि से बिल्कुल अलग है। आत्मा इन सबका साक्षी स्वरुप है।
  • अज्ञान के कारण आत्मा सीमित लगती है, लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है, तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है, जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है।
  • धर्म की किताबे पढ़ने का उस वक़्त तक कोई मतलब नहीं, जब तक आप सच का पता न लगा पाए। उसी तरह से अगर आप सच जानते है तो धर्मग्रंथ पढ़ने कि कोइ जरूरत नहीं है। सत्य की राह पर चले।
  • आनंद उन्हें मिलता है जो आनंद कि तलाश नहीं कर रहे होते हैं।
  • एक सच यह भी है की लोग आपको उसी वक्त तक याद करते हैं जब तक सांसें चलती हैं। सांसों के रुकते ही सबसे करीबी रिश्तेदार, दोस्त, यहां तक की पत्नी भी दूर चली जाती है।
  • आत्मसंयम क्या है? आंखो को दुनिया की चीजों कि ओर आकर्षित न होने देना और बाहरी ताकतों को खुद से दूर रखना।
  • सत्य की कोई भाषा नहीं है। भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है, लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता, सिर्फ उघाड़ना पड़ता है।
LIVE TV