AAP नेता पहुंचे चुनाव आयोग बोले- ‘EVM से है छेड़छाड़ का डर !’

ईवीएम में छेड़छाड़ की शिकायत लेकर शनिवार को आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे. चुनाव आयोग से शिकायत करने के बाद राघव चड्ढा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें EVM से छेड़छाड़ का डर है. इसके अलावा उन्होंने चुनाव से संबंधित दस्तावेजों से भी छेड़छड़ का शक जाहिर किया.

उन्होंने कहा कि एक चुनावी डायरी में EVM का नंबर, वोट की संख्या 12 मई को चुनाव अधिकारी ने दर्ज की थी, लेकिन उसके 4 दिन बाद कुछ अफसरों को दोबारा डायरी बनाने के लिए बोला गया.

राघव ने कहा कि इसकी जानकारी चुनाव अधिकारी ने ही दी है. इसलिए हमने इसकी शिकायत खुद चुनाव आयोग से करने का फैसला किया. चुनाव आयोग कागजी कार्रवाई करता है तो सभी राजनीतिक दलों को जानकारी देनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

आगे बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि जहां ईवीएम और पोस्टल बैलेट रखे जाते हैं उसकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. ईवीएम का फॉर्म भरने के बाद कोई बदलाव नहीं होता, लेकिन 3 विधानसभाओं में ईवीएम के फॉर्म फिर से भरवाए गए. इसके पीछे क्या मंशा है. स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम बंद होने के बाद भी कोई कार्यवाही होती है तो सबसे पहले प्रत्याशियों को इसकी जानकारी दी जाती है.

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को दक्षिणी दिल्ली लोकसभा की RO और अन्य अधिकारी जिस कमरे में पोस्टल बैलेट रखा हुआ था उसे क्यों खोलते हैं? नई EVM आई थी जिसको रखने के लिए खोला गया?

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13 तारीख की सुबह 11 बजे ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम बंद किए गए गए. 6-7 घंटे ईवीएम कहां रही. पार्टी नेता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है.

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आयोग क्या कर रहा है? ईवीएम के साथ क्या हो रहा है. पूर्वी दिल्ली के आरओ को पता था कि ईवीएम कौन से कमरे में रखी हुई हैं और वह कुछ देर के लिए उसी कमरे में थे.

संजय सिंह ने कहा कि प्रत्याशी होने के नाते राघव चड्ढा भी इस बारे में जानना चाहते हैं और इसके बारे में राघव ने चुनाव आयोग से भी शिकायत की है, लेकिन किसी ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया.

चुनाव आयोग को ईवीएम सुरक्षित स्थान पर रखने चाहिए. चुनाव आयोग की विश्वसनीयता एक बार फिर कठघरे में हैं. चुनाव आयोग के कार्य करने के तरीके पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं.

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