5 सालों में मोदी सरकार पर इतना कर्ज लदा जिसे कोई सोच नहीं सकता

केंद्र की मोदी सरकार को लोकसभा चुनाव से पहले एक और झटका लगा है. सरकार चुनाव से पहले कई लोकलुभावन वादों के लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है, लेकिन ऐसे में यह रिपोर्ट बीजेपी के लिए किसी झटके से कम नहीं है. दरअसल वित्त मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत सरकार पर मौजूदा कर्ज बढ़कर 82 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है जो जून 2014 में 54 लाख करोड़ के आसपास थी.

शुक्रवार को मोदी सरकार के कर्ज स्टेटस पर वित्त मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी किया, जिसमें यह बात सामने आई है. इससे पहले खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि सरकार का उद्देश्य राजकोषीय घाटा को 3.3 फीसदी के आसपास रखने का है और सरकार इसमें कहीं न कहीं सफल होती हुई दिख रही है.

मोदी सरकार कई स्तर पर गरीबों के लोक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है जिससे सरकार के बैलेंस शीट पर दबाव पड़ रहा है. कर्ज में बढ़ोतरी की मुख्य वजह पब्लिक डेब्ट में हुई बढ़ोतरी है, जो 2014 में 48 लाख करोड़ से बढ़कर 73 लाख करोड़ तक पहुंच गई है.

इस आधार पर महबूबा ने अलगाववादी नेता की रिहाई की मांग की, राजनाथ से लगाई गुहार

बाजार लोन भी बढ़ कर 52 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गया है. केंद्र सरकार हर साल सरकार के वित्तीय सेहत को लेकर आंकड़े जारी करती है, यह प्रक्रिया 2010-11 से जारी है.

LIVE TV