3 राज्यों में हार मिलने के बाद मोदी को आई वरिष्ठ नेताओं की याद, चुनावी रणनीति में किया बड़ा ये बदलाव

नई दिल्ली। तीन राज्यों राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में हार का स्वाद चखने के बाद बीजेपी में उथल-पुथल का माहौल बन गया है। हालांकि पार्टी की तरफ से इस हार को जनता का फैसला बताते हुए स्वीकार कर लिया गया है।

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लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस के हाथों मिली हार कहीं न कहीं मोदी की अजेय छवि को नुकसान पहुंचाती हुई नजर आती है। हार से सबक लेते हुए पीएम मोदी द्वारा आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किए जाने की संभावना जताई जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, तीन राज्यों में मिली हार के बाद मोदी को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की याद आई है। इसके तहत आगामी 2019 के चुनावों में मोदी अपना ही फैसला पलटते हुए 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को भी टिकट दे सकते हैं।

लेकिन इस फैसले में भी एक पेंच रखा गया है, जिसके तहत इन 75 से ज्यादा उम्र के नेताओं को न तो पार्टी में कोई पद दिया जाएगा और न ही मंत्री बनाया जाएगा।

2014 में जब पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी ने सत्ता संभाली थी तब पार्टी के कई 75 साल के वरिष्ठ नेताओं को न तो मंत्री बनाने और न ही उन्हें पार्टी में कोई पद देने का निर्णय लिया गया था। पार्टी की इसी नीति के तहत लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी समेत कई वरिष्ठ नेता लगभग पार्टी से साइडलाइन कर दिए गए थे।

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इसके तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के अलावा 75 साल से अधिक के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई, जिनमें शांता कुमार, बीसी खंडूरी, हुकुम देव यादव, कारिया मुंडा, बिजया चक्रवर्ती शामिल हैं। मोदी सरकार में 75 की उम्र पूरी होने पर कलराज मिश्रा, नजमा हेपतुल्ला को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।

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ऐसे में अब बीजेपी द्वारा इन वरिष्ठ नेताओं को टिकट देने पर जब चर्चा जोरों पर है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्व स्वर्गीय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समय में पार्टी के फायरब्रांड नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी समेत मुरली मनोहर जोशी को लेकर मोदी क्या फैसला लेंगे।

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