23 साल मुख्यमंत्री रहे इस दिग्गज नेता ने छोड़ा भाजपा का साथ, कही ऐसी बात कि पार्टी हो सकती है…

नई दिल्ली। बीजेपी के कई नेता पार्टी से नाराज नजर आ रहे हैं तो वहीं देश में हाल ही में होने वाले आम चुनावों से पहले भाजपा को एक और करार झटका लगा है।

मोदी-शाह

23 साल के लंबे सफ़र को तय करते हुए अरुणाचल के मुख्य मंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता गेगांग अपांग ने बीते दिन यानी मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। साथ ही उन्होंने इस्तीफे के पीछे की वजह का भी खुलासा किया, जो बेहद ही हैरान करने वाला है।

साथ उनके इस कदम के साथ इस बाद का भी इशारा मिलता है कि कहीं न कहीं शीर्ष नेतृत्व की नीतियों से कई भाजपा नेता खुश नहीं हैं।

खबरों के मुताबिक़ वरिष्ठ राजनेता गेगांग अपांग ने 15 जनवरी को भाजपा छोड़ते हुए कहा कि पार्टी अब “सत्ता की तलाश करने का मंच” है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राज्य इकाई के अध्यक्ष तपीर गाओ को लिखे पत्र में, अपांग ने कहा, “मुझे यह देखकर निराशा हुई कि वर्तमान भाजपा अब स्वर्गीय श्री वाजपेयी जी के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है। पार्टी अब सत्ता की तलाश करने के लिए एक मंच है, यह ऐसे नेतृत्व में है जो विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक निर्णय लेने की प्रक्रिया से नफरत करता है। अब यहां उन मूल्यों को कोई नहीं मानता है जिनके लिए पार्टी की स्थापना हुई थी।

उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा ‘मैं 7 बार विधायक रह चुका हूं और राज्य का 23 साल का मुख्यमंत्री रह चुका हूं। मैंने राज्य के लिए भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता- इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी।पी सिंह, आई।के गुजराल, एच।डी देवगौड़ा, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ काम किया।’ अपांग दूसरे ऐसे नेता हैं जो देश में सबसे लंबे समय तक सीएम रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा को 2014 में राज्य में लोगों का जनादेश नहीं मिला था, लेकिन दिवंगत कलिखो पुल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए “हर गंदी चाल” का इस्तेमाल किया।

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सुप्रीम कोर्ट से विरोध में फैसले के बावजूद बीजेपी की सरकार गठित की गई। अपांग ने कहा, “कालिखो की आत्महत्या की न तो कोई उचित जांच कराई गई और न ही बीजेपी नेतृत्व ने पूर्वोत्तर में कई अन्य बीजेपी सरकारों के गठन के दौरान नैतिकता का कोई ख्याल ही रखा।”

अपांग ने कहा कि 10-11 नवंबर को पासीघाट में हुई राज्यस्तरीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान बीजेपी महासचिव राम माधव ने कई सदस्यों और पदाधिकारियों को अपने विचार तक नहीं रखने दिए थे। चुनाव से पहले पेमा खांडू को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय न तो उस नियम के अनुरूप है और न उस परंपरा के, जिसका बीजेपी जैसी कैडर आधारित पार्टी अनुसरण करती है।

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