चुनाव से पहले झटका : गले की फांस बना बजट, जेटली के ऐलान से राजनैतिक दलों के उड़ गए तोते

2000 कैशनई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा घोषित किए गए बजट ने राजनीतिक दलों के लिए एक बार फिर मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। नए बजट के अनुसार अब पार्टियां 2000 कैश से ज्यादा चंदा नहीं ले सकती हैं। इससे पहले नोटबंदी के बाद भी पार्टियों के लिए कैश में चंदा लेना मुसीबत बन गया था। बदलाव की ओर यह पीएम मोदी का एक और साहसिक कदम है। पिछले करीब एक दशक से सभी राजनैतिक पार्टियां चंदे में आयी रकम का खुलासा करने से बचते रहे हैं। वहीं पॉलिटिकल फंडिंग को लेकर देश भर के लोगों में भी गुस्सा था। इससे पहले चुनाव आयोग ने सरकार को ये सुझाव दिया था कि कैश में दो हजार से ज्यादा लेन-देन पर रोक लगाई जाए।

2000 कैश से ज्यादा चंदा

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐलान किया कि अब सभी राजनीतिक पार्टियां एक व्यक्ति से  कैश में सिर्फ 2000 रुपये तक ही ले सकती हैं। 2000 से ज्यादा के चंदे का हिसाब देना होगा, यानी राजनीतिक दल 2000 से अधिक चंदा ऑनलाइन या चेक के तौर पर ही ले सकते हैं। इससे पहले राजनीतिक दलों को अपनी आय में से 20 हजार से कम के चंदे को घोषित करने से छूट मिली हुई थी।

हालांकि, अभी भी राजनीतिक दल 20 हजार से कम चंदे का ब्योरा बताने के लिए बाध्य नहीं हैं। आरटीआई के दायरे में आने के बावजूद भाजपा, कांग्रेस, बसपा, एनसीपी, सीपीएम और सीपीआई कोई सूचना नहीं देते हैं। चुनाव जीतने वाले सांसदों और विधायकों के शपथ पत्रों की स्वत: जांच करने का कोई प्रावधान नहीं है।

पिछले एक दशक से प्रमुख राजनीतिक दल चुनावी चंदे के रूप में मिली नकदी की घोषणा करने से बचते रहे हैं। यूं कहें कि राजनीतिक दल डिजिटल लेनदेन से परहेज करते आ रहे हैं। पिछले एक दशक में इन दलों ने चुनावों के लिए 63 फीसदी चंदा नकद ही लिया है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के हालिया खुलासे से स्पष्ट हुआ था कि इन दलों ने एक दशक में 37 फीसदी चंदा ही चेक से लिया है।

चुनाव सुधार पर काम करने वाली इस संस्था ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर तैयार रिपोर्ट में बताया है कि 2004 से 2015 तक कुल 71 विधानसभा चुनाव हुए जिनके लिए 152 राजनीतिक दलों ने 2107 करोड़ रुपये का नकद चंदा लिया जबकि 1244 करोड़ का चंदा चेक से लिया। इनमें से उन्होंने 65 प्रतिशत चंदा ही चुनावों में खर्च किया।

वर्ष 2013 में सबसे ज्यादा चंदा नकद इकट्ठा किया गया। 18 राजनीतिक दलों ने करीब 493 करोड़ रुपये नकद और 199 करोड़ रुपये चेक से जुटाए। वहीं 2012 में 13 राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा 695 करोड़ का चंदा मिला। इनमें से 370 करोड़ नकद और 325 करोड़ रुपये चेक से प्राप्त हुए।

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