14 की पत्नी 52 साल का पति, 4 साल बाद कोर्ट ने शादी को लीगल करार दिया !  

“आंसु के गहने है और दुःख की है डोली, बंद किवारिया मोरे घर की ये बोली.

इस ओर सपने भी आया ना कीजो, अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो.”

-जावेद अख्तर की लिखी ये पंक्तियां आज एक लड़की की हालत पर बिल्कुल फिट बैठती है. 2 मई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया. फैसला 18 साल की लड़की को अपने 56 साल के पति के साथ रहने का. साथ ही इस फैसले को सुनाते हुए जज ने ये भी कहा:

इस लड़की को कोई भी अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा.क्योंकि 18 साल की लड़की जब 14 साल की थी, तभी उसकी शादी एक 52 साल के बुजुर्ग से कर दी गई थी. अब आपके मन में कई तरह के सवाल आ गए होंगे.

लड़की का आरोप है कि जब वो साल 2014 में 14 साल की थी, तब उसकी शादी उसके दादा-दादी ने 52 साल के बुजुर्ग वकील से ज़बरदस्ती करवा दी थी. शादी के बाद उसके पति ने कई बार ज़बदस्ती करने की कोशिश की.

पति की ज़बरदस्ती से तंग आकर नाबालिग ने बुजुर्ग पति के खिलाफ शिकायत कर दी. शिकायत के बाद बुजुर्ग पति के खिलाफ पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया गया. फिर वो दिसंबर 2017 में गिरफ्तार हुआ और 10 महीने जेल में रहा.

अब सितंबर 2018 में नाबालिग लड़की बालिग हो गई. और अक्टूबर 2018 में बुजुर्ग पति जमानत पर रिहा हो गया.

अब दोनों के बीच सुलह कैसे हुई, बात कैसे बनी, ये ऊपर वाला जाने लेकिन लड़की की तरफ से कोर्ट में याचिका डाली गई. वकील के खिलाफ दुष्कर्म को खारिज करने की याचिका. साथ ही याचिका में ये भी कहा गया कि वो बालिग हो चुकी है और अपने पति के साथ रहना चाहती है, कोर्ट इस बात की इजाज़त दें.

जिसके बाद 2 मई को बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ ने अनोखा फैसला सुनाया. कोर्ट ने दोनों की शादी को लीगल बताते हुए दोनों को साथ रहने की अनुमति दे दी. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा:

महिला अब बालिग हो चुकी है. उन्हें अपने भले बुरे की समझ है. महिला अब अगर अपने पति के साथ रहने को तैयार है. तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है. हम सोचते हैं कि इसके बाद अब समाज में उसे जल्दी कोई पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा.

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ऐसे में उसके भविष्य को सुरक्षित रखना भी जरूरी है. इसलिए महिला का पति उसके नाम 10 एकड़ जमीन 7 लाख रुपये की एफडी करें. साथ ही ध्यान रखे कि लड़की की पढ़ाई में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो.

हालांकि कोर्ट के इस निर्णय को लेकर दो धड़े बन गए हैं. सुनवाई के दौरान एडिशन प्रॉसिक्यूटर अरुण कामत पाई ने इस याचिका का विरोध किया. साथ ही ये भी कहा कि ऐसे मामले को रद्द करने से समाज में गलत उदाहरण पेश होगा और जनता के बीच गलत मेसेज जाएगा.

सोशल मीडिया भी कुछ यहां कह रहा है कि जब लड़की की शादी 14 साल में हो गई थी, तो उस शादी को रद्द करके, नए सिरे से अब शादी कराई जाए. क्योंकि लड़की अब 18 साल की हुई है.

दूसरे धड़े का कहना है जो कि कोर्ट के फैसले से ही मिलता जुलता है. कि लड़की अब 18 साल की हो चुकी है और उसे अपने बारे में सोचने का हक है. वो अपना भला-बुरा खुद सोच सकती है. ऐसे में उसने जो कोर्ट में याचिका डाली वो सोच समझ करके ही डाली होगी.

 

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