1 जून से खुलेगी पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी, खिलते हैं 500 तरह के फूल

उत्तराखंड में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी का आनंद एक बार फिर पर्यटक उठा सकेंगे। इस पर्यटन स्थल के गेट एक जून से पर्यटकों के लिए खोल दिए जाएंगे।

इस साल भारी बर्फबारी की वजह से फूलों की घाटी जाने वाले पैदल मार्ग और पुलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसीलिए पार्क प्रशासन 15 अप्रैल से ही मार्ग को दुरुस्त करना शुरू कर देगा।

पार्क प्रशासन के गश्ती दल ने घाटी की रेकी कर ली है और नौ ट्रेप कैमरों से क्षेत्र पर लगातार नजर रखी जा रही है। फूलों की घाटी पार्क के वन अधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि घाटी में अभी सात फीट के आसपास बर्फ जमी है।

इस साल ये हैं इंतज़ाम

भारी बर्फबारी की वजह से पैदल रास्ते के साथ ही खीर गंगा और अन्य स्थानों पर बने पैदल पुलों को हानि पहुंची है। इसे देखते हुए पार्क प्रशासन ने 15 अप्रैल से हिमखंडों को काटकर रास्ता बनाने और पैदल पुलों को दुरुस्त करना तय किया है। पिछले साल सीजन के दौरान बेहतर मौसम होने की वजह से फूलों की घाटी में रिकॉर्ड 13500 पर्यटक पहुंचे थे।

क्‍या है फूलों की घाटी

उत्तराखंड के सीमांत चमोली जिले में 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय पार्क और 2005 में यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर घोषित किया गया। यहां फूलों के साथ ही दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव भी पाए जाते हैं।

खिलते हैं 500 से अधिक प्रकार के फूल

फूलों की घाटी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। यहां पांच सौ से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं, जिनमें बहुत सी दुर्लभ प्रजातियां भी हैं। 2005 में इस घाटी को यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। हिमालयी भालू, कस्तूरा मृग समेत कई दुर्लभ प्रजातियों के जीव, वनस्पति और पक्षी भी फूलों की घाटी में पाए जाते हैं। देश-दुनिया के पर्यटक प्रकृति के इसी सौंदर्य का दीदार करने खिंचे चले आते हैं।

प्रकृति का अनुपम खजाना

फूलों की घाटी जैव विविधता का अनुपम खजाना है। यहां न केवल 500 से अधिक प्रजाति के फूल देखे जा सकते हैं, बल्कि 250 से अधिक प्रजाति के परिदे, 70 प्रजाति की तितलियां तथा अन्य प्राणियों का प्रवास भी है।

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