हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सीमा विस्तार को रोकेंगे ये दिन देश, श्रीलंका में समुद्री सुरक्षा पर बनी साझी रणनीति

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता को थामने के लिए भारत को जिन दो देशों की सबसे ज्यादा मदद की दरकार होगी वे हैं मालदीव और श्रीलंका। भौगोलिक आकार में छोटे लेकिन रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के साथ भारतीय एनएसए अजीत डोभाल की शनिवार को संपन्न हुई बैठक इस बात का संकेत है कि उक्त तीनों देश अब इस क्षेत्र में साझी रणनीति की तरफ बढ़ रहे है।

समुद्री सुरक्षा सहयोग विषय के तहत उक्त तीनों देशों की बैठक छह वर्षों बाद हुई है। चीन के दबाव के बावजूद श्रीलंका जिस तरह से इस बैठक के लिए तैयार हुआ है वह उसके बदले विचार को बताता है।बैठक में भारतीय एनएसए डोभाल, मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी व श्रीलंका के रक्षा सचिव मेजर जनरल (सेवानिवृत) कमल गुरात्ने शामिल हुए। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास के अलावा मानवीय आधार पर सहयोग, समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर विमर्श हुआ है और आतंकवाद, अतिवाद, मादक पदार्थों के व्यापार, हथियारों व मानव तस्करी पर रोक जैसे दूसरे मुद्दों पर आपसी संवाद को बेहतर बनाने के तमाम उपायों पर भी बातचीत हुई है।

तीनों देशों की राय है कि इस क्षेत्र में अमन व शांति में ही सभी का साझा हित है। तीनों देश मानते हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र में इनकी चुनौतियां भी साझा है और इनसे निबटने में खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान का ढ़ांचा तैयार करना बहुत जरूरी है।भारत, मालदीव व श्रीलंका के बीच एनएसए स्तर की बातचीत का खाका वर्ष 2011 में ही तैयार किया गया था। वर्ष 2014 तक लगातार विमर्श भी हुआ, लेकिन उसके बाद यह स्थगित हो गया। अब एनएसए स्तर की बातचीत निश्चित अंतराल पर करने की सहमति भी बनी है।

यह भी बताते चलें कि हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ ने भारत यात्रा के दौरान मालदीव व श्रीलंका भी गये थे। मालदीव में पोम्पिओ ने कहा था कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां काफी चिंता पैदा करने वाली है।

अमेरिका ने मालदीव में अपना दूतावास स्थापित करने का भी ऐलान किया है। श्रीलंका में पोम्पिओ ने चीन को हिंसक जानवर तक करार दिया था और निवेश परियोजनाओं की आड़ में चीन की कर्ज जाल में फंसाने की नीति पर तीखा हमला बोला था। भविष्य में भी हिंद प्रशांत सेक्टर में भारत-अमेरिका-आस्ट्रेलिया-जापान की जो साझा रणनीति बनेगी उसमें मालदीव व श्रीलंका की अहम भूमिका हो सकती है।

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