हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस युवक को मिली उसकी पत्नी

हाईकोर्ट के दखल के बाद एक युवक को उसकी पत्नी वापस मिल गई है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लड़की के पिता को समझाते हुए कहा कि जीवन साथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार संविधान ने स्थायी रूप से दे रखा है।

हाईकोर्ट

यह हक किसी शख्स से कोई भी नहीं छीन सकता। लड़की के माता-पिता या परिजन भी उसे इस अधिकार का प्रयोग करने से नहीं रोक सकते। कोर्ट ने एक मुस्लिम युवक की याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया।

पेश मामले में, लड़की ने गैरधर्म के लड़के से शादी कर ली थी। लड़की के घरवाले इसके खिलाफ थे। वे लड़की को अपने साथ जबरन ले गए थे। न्यायमूर्ति जयंत नाथ और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की खंडपीठ ने मामले में दखल देते हुए दंपती को साथ रहने और जान के खतरे के मद्देनजर उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश पुलिस को दिया है। खंडपीठ ने सुरक्षा में दंपती को उनके घर भिजवाया।

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थाना प्रभारी को हर हफ्ते इनकी सुरक्षा का आंकलन करने, बीट सिपाही से रोज दो महीने तक लगातार इनकी सुरक्षा का जायजा लेने, एक महिला समेत तीन पुलिस अधिकारियों के नंबर इस जोड़े को मुहैया कराने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए हैं, ताकि खतरा महसूस होने पर ये पुलिस की मदद ले सकें।

याचिकाकर्ता युवक ने पत्नी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। लड़की यूपी की रहने वाली है और उसके पिता जबरन उसे दिल्ली से यूपी ले गए थे। लड़की से फोन पर बातचीत के आधार पर पुलिस ने रिपोर्ट दायर की।

पुलिस ने बताया था कि लड़की अपने माता-पिता के साथ है। पति ने उसे जबरदस्ती घर में रोक रखने की बात हाईकोर्ट से कही। हाईकोर्ट ने इसके बाद लड़की को पेश करने का निर्देश दिया। उससे बातचीत के बाद लड़की को युवक के साथ जाने की अनुमति दे दी।

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