हर बच्चे का अधिकार है टीकाकरण

हर बच्चे का अधिकारइंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि टीकाकरण हर बच्चे का अधिकार है और टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए हर किसी को जागरूक होना आवश्यक है। आईएमए ने यह बात विश्व टीकाकरण सप्ताह के उपलक्ष्य में शनिवार को जारी एक बयान में कही कही है। विश्व टीकाकरण सप्ताह 24 अप्रैल से 30 अप्रैल तक मनाया जा रहा है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने यहां जारी बयान में कहा है, “हर साल लगभग 30 लाख जानें टीकाकरण से बचाई जा सकती हैं। यह दुनिया का सबसे सफल और किफायती स्वास्थ्य आविष्कार है। इसीलिए इस साल का विश्व टीकाकरण सप्ताह ‘टीकाकरण है कारगर’ कहावत पर आधारित है।”

डॉ. अग्रवाल ने कहा, “टीकाकरण प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच की सबसे मजबूत नींव है। नए टीकों की खोज के साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों, खास कर बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। लेकिन केवल टीकों की उपलब्धता से ही संभव नहीं है कि दुनिया के हर हिस्से में बच्चों तक यह पहुंच रहे हैं। इस विश्व टीकाकरण सप्ताह में हमें बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य देने की अपनी वैश्विक वचनबद्धता को पुन: दोहराना होगा और चिरंजीवी विकास लक्ष्य को 2030 तक पूरा करना होगा।”

अंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 1.94 करोड़ बच्चों का या तो टीकाकरण हुआ ही नहीं है या पूरी तरह से नहीं हुआ है। इनमें से 1.15 करोड़ बच्चे 10 देशों अंगोला, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, नाईजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपीन्स और यूक्रेन में रहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक, टीकाकरण 26 जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस साल का विश्व टीकाकरण सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के टीकाकरण से रोकी जा सकने वाली करोड़ों मौतों के लक्ष्य के मध्यांतर तक पहुंचने का अवसर भी है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जिन 194 देशों ने टीकाकरण के जरिए खत्म की जा सकने वाली बीमारियों को 2020 तक समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, वह अपने लक्ष्य की अवधि से पीछे चल रहे हैं, यह मौका उनके लिए जागरूक होने की चेतावनी होनी चाहिए। टीकाकरण से रोके जा सकने वाली बीमारियों में खसरा, रूबेला और गर्भावस्था व नवजात बच्चे में टेटनस शामिल हैं।

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, “सामाजिक या आर्थिक कारणों से बच्चे को टीकाकरण के अधिकार से वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है। अगर सभी देश मिलकर एकजुटता से काम करें तो इस लक्ष्य के रास्ते में आने वाली हर रुकावट से पार पाया जा सकता है।”

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