हरियाणा-महाराष्ट्र के नतीजों को देखकर इस राज्य के लिए भाजपा ने कसी कमर

हाल में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखते हुए भाजपा ने आगे होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। इसके साथ ही 2020 की शुरुआत झारखंड विधानसभा चुनाव से हो सकती है भाजपा ने पहली बार इस राज्य में कामयाबी हासिल की थी।

रघुवर दास

आदिवासी बाहुल्य इस सूबे के पहले गैरआदिवासी सीएम और बतौर सीएम पहली बार अपना कार्यकाल पूरा करने वाले रघुवर दास को यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और वामदलों के महागठबंधन से मुकाबला करना होगा।

हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में अनुकूल परिणाम न आने से भाजपा चिंतित होने के साथ ही बेहद सतर्क भी है। पार्टी को पता है कि इस राज्य में हाथ आई असफलता के कारण देश भर में भाजपा का ग्राफ गिरने की धारणा बनेगी। यही कारण है कि पार्टी ने यहां राष्ट्रवाद के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को भी महत्व देने का फैसला किया है।

पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव से पहले अयोध्या विवाद का फैसला आ जाएगा। अगर फैसले हिंदू समाज के हक में आया तो राम मंदिर के साथ अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का मामला चल निकलेगा। इसके साथ ही पार्टी वहां पहली बार स्थिर सरकार लगा कर सियासी अराजकता खत्म करने को भी प्रमुख मुद्दा बनाएगी।

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कई सवालों के मिलेंगे जवाब

अपने अस्तित्व में आने के बाद झारखंड में किसी भी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। बीते 19 वर्षों में इस सूबे में 10 मुख्यमंत्री बने हैं। इनमें अगर वर्तमान सीएम के पांच साल के कार्यकाल को हटा दिया जाए तो महज 14 वर्षों में इस सूबे में 9 सीएम बने। नतीजे बताएंगे कि क्या झारखंड दोबारा जनादेश न देने का मिथक तोड़ेगा। इसके अलावा क्या पहली बार गैरआदिवासी सीएम पर फिर से अपना विश्वास जताएगा। फिर वर्तमान सीएम सत्ता विरोधी रुझान से किस हद तक पार पाएंगे।

रघुवर की चुनौती बड़ी

बीते चुनाव में मोदी लहर में लोकसभा चुनाव के दौरान जबर्दस्त प्रदर्शन करने वाली भाजपा विधानसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी। पार्टी ने आजसू को साथ ला कर बहुमत का आंकड़ा हासिल किया था। बाद में जेवीएम के 6 विधायकों को अपने पाले में कर पार्टी बहुमत हासिल करने में कामयाब हुई थी। इस बार भाजपा-आजसू गठबंधन के सामने जेएमएम, कांग्रेस, राजद और वाम दलों का महागठबंधन होगा। पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि बीते चुनाव में 8 सीटें जीतने और 10.2 फीसदी वोट हासिल करने वाली जेवीएम अब तक महागठबंधन से दूर है।

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बीते चुनाव का इतिहास

बीते चुनाव में 81 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को बहुमत से 4 कम 37 सीटें (31.8 फीसदी वोट) मिले थे। पार्टी ने आजसू (5 सीटें 3.7 फीसदी वोट) के सहारे सरकार बनाई थी। तब जेएमएम को 19, जेवीएम को 8 और कांग्रेस को छह सीटें मिली थीं। वर्तमान गठबंधन का पिछला वोट शेयर करीब 35 फीसदी था।

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