मेरठ : स्‍मार्ट सिटी प्रोजेक्‍ट मीटिंग में पार्षदों ने किया जमकर हंगामा

स्‍मार्ट-सिटी-प्रोजेक्‍टमेरठ । मीटिंग तो बुलाई गयी थी शहर के स्‍मार्ट-सिटी-प्रोजेक्‍ट को स्‍वीकृति दिलाने के लिए लेकिन पार्षदों ने ऐसा हंगामा किया कि नगर निगम अधिकारियों के होश उड़ गए। पार्षदों ने इतना हंगामा किया कि पुलिस बुलानी पड़ी। हालांकि हंगामे से पहले प्रोजेक्‍ट को मंजूरी मिल चुकी थी। मीटिंग में सफाई कर्मचारी संगठनों के नेता भी बैठक में घुस गए और हड़ताल की धमकी तक दे डाली। करोड़ों की धांधली के आरोप लगे और माइक की छीना झपटी में हाथापाई भी हुई।

स्‍मार्ट-सिटी-प्रोजेक्‍ट मीटिंग में पार्षदों का हंगामा

बैठक में हंगामे की शुरुआत मैसर्स सीबरी ग्रीन एनर्जी प्रा. लि. को गांवड़ी में कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट की स्थापना के लिए 8 एकड़ जमीन निशुल्क 25 वर्ष के लिए दिए जाने के नगर आयुक्त के प्रस्ताव से हुई। पार्षदों ने आपत्ति जताई कि उक्त एजेंसी से अनुबंध बोर्ड की बिना अनुमति के ही कर लिया गया। कहा कि उक्त कंपनी न तो घर घर से कूड़ा उठाएगी और न ही कूड़े को शहर से बाहर लेकर जाएगी। बिजली भी निगम को सस्ती नहीं देगी। तो फिर जमीन क्यों? महापौर तथा नगर आयुक्त की तमाम सफाई के बाद भी पार्षद शांत नहीं हुए।

पार्षद राजू वर्मा ने घर-घर से कूड़ा उठवाने की मांग की। महापौर व नगर आयुक्त ने बताया कि कई एजेंसियों से बात चल रही है। जल्द इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी करके अनुबंध किया जाएगा। पार्षद किशन कन्हैया तथा पंकज कतीरा ने शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि ठेकेदार को 2215 आउटसोर्सिग सफाईकर्मियों का वेतन दिया जा रहा है। जबकि आधे से भी ज्यादा कर्मचारी गायब रहते हैं। हर महीने करोड़ों रुपये का खेल किया जा रहा है। कर्मियों की हाजिरी और मस्टर रोल को पार्षद चेक करेंगे। इसके बाद ही भुगतान होना चाहिए। नगर आयुक्त ने चेकिंग के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन पार्षदों ने नकार दिया।

काफी समझाने के बाद भी हंगामा शांत न होते देख महापौर ने बैठक को समाप्त करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि इसी एजेंडे पर 11 जुलाई को फिर से बैठक होगी।

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