सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सेक्स वर्कर और भिखारी की सच्ची प्रेमगाथा

सेक्स वर्करनई दिल्ली। प्यार अपने आप में एक अदभुद एहसास है. कहते हैं जब किसी से प्यार होता है तो दुनिया बेहद ख़ूबसूरत लगने लगती है. प्यार दुनिया का एक ऐसा मजहब है जिसके सामने सारे उंच-नीच, भेद-भाव, जाती-धर्म ख़त्म हो जाते हैं. पर आज के ज़माने में बिना शर्त प्यार पाना तो जैसे सिर्फ किस्से कहानियों की बातें हो गई हैं. लेकिन आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे प्यार के उदाहरण हैं जिन्हें देखकर लोगों का भरोसा प्यार- इश्क– मोहब्बत बरकरार हैं. आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद यकीनन आपकी आंखें नम हो जाएंगी. ये कहानी है एक सेक्स वर्कर रजिया बेगम और एक भिखारी अब्बास मेह के प्यार की.

दरअसल, योर स्टोरी के मुताबिक़ – हाल ही में मशहूर फोटोग्राफर जीएमबी आकाश ने अपने फेसबुक पेज पर एक सेक्स वर्कर और अपाहिज भिखारी की लव स्टोरी को शेयर किया है. जो इन दिनों इंटरनेट पर वायरल हो रही है.

रज़िया और अब्बास के प्यार की कहानी

मजबूरन वेश्यावृत्ति में आई रज़िया एक बेटी की माँ है. रजिया ने जीएमबी को बताया, ‘मुझे अपनी उम्र और मां-बाप के बारे में कुछ नहीं पता. लेकिन जिंदगी में दोबारा प्यार करना किसी के लिए आसान नहीं होता है खासकर वेश्याओं के लिए. मैंने अपनी जिंदगी सड़कों पर बिताई थी. मेरी बेटी ही मेरे जीने की वजह थी. वो एक प्यारी बच्ची है, गोलू मोलू बिल्कुल.’

रज़िया के लिए अपनी बेटी से झूठ बोलना बहुत मुश्किल था, खासकर तब जब वो उसे देखकर मुस्करा देती थी. उसकी बेटी हमेशा पूछती थी, कि ‘अम्मा, आप रात में क्यों काम पर जाती हैं?’ लेकिन रज़िया के पास अपनी मासूम बेटी के सवालों का कोई जवाब नहीं होता था और उसने अपनी बेटी को कभी अपनी सच्चाई नहीं बताई. रज़िया कहती है, ‘मैं उस दलदल से बाहर निकलना चाहती थी. मैंने कई बार भागने की भी कोशिश की पर मैं किसी को नहीं जानती थी और न ही कोई मेरी मदद के लिए आगे आया. सभी ने मेरा इस्तेमाल किया, सभी ने मेरे दिल के साथ खिलवाड़ किया. मैं टूट चुकी थी, समझ ही नहीं आता था कि क्या करूं.’

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तेज़ बारिश के बीच रज़िया और अब्बास की पहली मुलाक़ात हुई. वो एक पेड़ के नीचे खड़ी थी और रात के होने का इंतज़ार कर रही थी. उसने ध्यान भी नहीं दिया, कि पेड़ के दूसरी तरफ व्हीलचेयर पर एक भिखारी था. वो बहुत जोर-ज़ोर से रो रही थी, चिल्ला रही थी. वो अपनी बेटी के पास वापस जाना चाहती थी. तभी अचानक उसे व्हीलचेयर के चक्के की आवाज सुनाई दी. उस भिखारी ने खांस कर रज़िया का ध्यान खींचना चाहा. रज़िया कहती है, ‘मैंने अपने आंसू नहीं पोछे और उससे कह दिया कि मेरे पास किसी भिखारी को देने के लिए पैसे नहीं है.’ भिखारी ने रज़िया की तरफ एक नोट बढ़ाते हुए कहा, ‘मेरे पास सिर्फ इतने ही हैं.’ भिखारी मे रज़िया को आने वाले तूफान से आगाह करते हुए घर जाने को कहा. जीएमबी आकाश की पोस्ट के अनुसार, रज़िया कहती है, ‘मैं एकटक उसे देखती रह गई. वो नोट भीग गया था पर मैंने उसे रख लिया.’

मूसलाधार बारिश में वो भिखारी काफी आगे निकल चुका था. रज़िया की जिन्दगी में पहली बार किसी ने उसे कुछ दिया था, वो भी बिना उसका इस्तेमाल किए हुए. उस दिन वो घर पहुंच कर खूब रोई. वही वो दिन था, जब उसने प्यार को पहली बार महसूस किया था. रज़िया कहती है, ‘इसके बाद मैं उस शख्स को लगातार ढूंढने लगी. कुछ दिनों बाद मुझे पेड़ के नीचे वो बैठा दिखा. मुझे पता चला कि उसकी बीवी ने उसे छोड़ दिया था क्योंकि वो विकलांग था.’ रज़िया ने बहुत हिम्मत जुटाकर उस भिखारी से कहा, कि वो दोबारा प्यार नहीं कर पायेगी, लेकिन उसकी व्हीलचेयर को ताउम्र संभाल कर रख सकती है. भिखारी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘बिना प्यार के कोई व्हीलचेयर वाले को नहीं संभाल सकता.’

रज़िया बेगम और अब्बास मेह की शादी को 4 साल हो गये हैं. शादी के वक्त अब्बास ने रज़िया से उसकी आंखों में आंसू न आने देने का वादा किया था. भोजन कम था प्लेट में लेकिन प्यार ज़िंदगी में इतना ज्यादा कि एक छोटी सी प्लेट के भोजन ने भी रज़िया के परिवार का पेट भर दिया. रज़िया की बेटी ने भी अपने पिता को खुशी-खुशी अपना लिया. इस परिवार ने कई मुश्किल दिन एक साथ गुज़ारे, लेकिन रज़िया फिर कभी किसी पेड़ के नीचे खड़ी होकर नहीं रोई. क्योंकि अब्बास ने अपना वादा निभाया…

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