सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी नागेश्वर राव की माफी, कोर्ट में बिठाया, देना होगा इतना जुर्माना
सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेशवर राव द्वारा बिना इजाजत मुजफ्फरपुर आश्रय गृह के जांच अधिकारी का सीआरपीएफ में तबादला करने के मामले में मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई।
राव पर सख्ती दिखाते हुए अदालत ने उनसे पूछा कि आपने ट्रांसफर से पहले इजाजत क्यों नहीं ली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूर्व अंतरिम निदेशक को अदालत की अवमानना का दोषा पाया और इसके परिणामस्वरूप उन्हें अनोखी सजा सुनाई। उन्होंने कहा कि कोर्ट उठने तक आप कोर्टरुम के कोने में बैठे रहिए। इसके अलावा उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सीबीआई की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल अदालत के सामने पेश हुए और उन्होंने माना कि यह गलतियों की श्रृंखला थी। वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है और उन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया। अदालत ने राव को कड़ी फटकार लगाई है।
CJI Ranjan Gogoi says 'Contempt has been committed. So there will be a mark on his( former interim CBI Director M Nageshwar Rao) career' AG KK Venugopal says 'He has an unblemished track record of 32 years. Please kindly adopt merciful approach as he has tendered apologies' https://t.co/8BlUcL1mxY
— ANI (@ANI) February 12, 2019
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘अदालत के आदेश की अवमानना हुई है। यह उनके (पूर्व अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव) करियर पर एक निशान होगा।’ इसपर वेणुगोपाल ने कहा, ‘उनका 32 सालों का बेदाग करियर रहा है। कृपया उनकी तरफ दयालु दृष्टिकोण को अपनाते हुए माफी को स्वीकार कर लें।’
इससे पहले सोमवार को राव अदालत के सामने पेश हुए थे और उन्होंने आश्रय गृह के जांच अधिकारी का तबादला करने के मामले में अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस के जवाब में उन्होंने सोमवार को हलफनामा दायर किया था।
अपने हलफनामे में उन्होंने कहा था, ‘मुझे अपनी गलती का अहसास है। बिना शर्त माफी मांगते हुए मैं कहना चाहता हूं कि मैंने जानबूझकर कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन नहीं किया। मैं तो सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकता।’ उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद जांच अधिकारी के तबादले पर 7 फरवरी को कोर्ट ने नागेश्वर राव को फटकारते हुए कहा था कि अब उन्हें भगवान ही बचा सकता है।
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हलफनामे में नागेश्वर राव ने कहा कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं। उनकी तरफ से दायर हलफनामे में लिखा है कि अदालत के आदेश के बिना मुख्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित नहीं करना चाहिए, यह मेरी गलती है और मेरी माफी स्वीकार करें। बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को तलब किया था। अदालत ने राव को फटकार लगाई कि किस परिस्थिति में उन्होंने जांच अधिकारी का ट्रांसफर किया।