सावन में शिवलिंग पर क्यू चढ़ाते हैं बेलपत्र? बेलपत्र चढ़ाते समय इन चीज़ो का रखे ध्यान
सावन का महीना हिंदू धर्म के लिए बेहद खास होता है। सावन में देवों के देव महादेव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ के महीने के बाद सावन का माह आता है। सावन के महीने को श्रावण मास भी कहते हैं। सावन कामास महादेव को समर्पित होता है। सावन के महीने के सोमवार दिन का महत्व बहुत ही ज्यादा होता है। वैसे सावन मास में प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। परन्तु सोमवार के दिन यह जलाभिषेक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है इस माह में शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस साल 25 जुलाई से 22 अगस्त तक सावन का महीना चलेगा।
माना जाता है कि बेलपत्र विष का नाशक है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव द्वारा पीने के बाद उनका शरीर अत्यधिक गरम हो गया। तब देवी देवताओं ने विष की गर्मी को शांत करने के लिए बेलपत्र खिलाया और पानी से नहलाते रहे। तब जाकर भगवान शिव कि विष की गर्मी से राहत मिली। साथ ही यह भी माना जाता कि एक बार देवी पार्वती ने अपने ललाट से पसीना पोंछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी का वास माना गया है। यही कारण है कि शिवजी को बेलपत्र प्रिय है और तभी से भगवान महादेव को बेलपत्र अर्पित करने की प्रथा चल पड़ी। परन्तु बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
-शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय उसकी दिशी का ध्यान रखें।
-शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय पत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग पर चढ़ाएं।
-शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं।
-शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं।
-शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
-बेलपत्र कहीं से कटा –फटा नहीं होना चाहिए।
-बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे खूब अच्छी तरह से साफ़ पानी में धोलें, तदोपरांत ही भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें।
-बेलपत्र को अशुद्ध नहीं माना जाता है। आप पहले से चढ़ाए हुए बेलपत्र को फिर से धोकर चढ़ा सकते हैं।
-जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पण करें।
-बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी करें।